#नरक चतुर्दशी आज: ये है नरक से मुक्ति का अमोघ उपाय! क्यों जलाया जाता है यम का दीया,जानें-कब है अन्नकूट व भाईदूज#
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी 11 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन औषधियों से स्नान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती। इस तिथि विशेष को शरीर में तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभ कार्यों में व्यवधान होता है। स्नान से पूर्व शरीर पर अपामार्ग का लेप लगाना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण की तरफ मुंह करके तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन देवताओं का पूजन करके दीपदान करना चाहिए।
प्रतिवर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी का पर्व धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से एक दिन पहले होता है। इस बार नरक चतुर्दशी की तिथि 11 नवंबर से 12 नवंबर तक है। इसलिए दोनों दिन यह त्योहार मना सकते हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन दीपक क्यों जलाते हैं?
छोटी दिवाली के दिन शाम में घर के मुख्य द्वार पर दीपक चलाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यम देव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। इस कारण इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है। सभी पापों का नाश करने और जीवन की परेशानियों से मुक्ति के लिए शाम के समय यम देव की पूजा की भी की जाती है।
अन्नकूट महोत्सव 14 को
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की उदय व्यापिनी प्रतिपदा को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष 14 नवंबर को अन्नकूट पड़ रहा है। इस दिन छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन रूप श्रीभगवान को भोग लगाया जाता है। मंदिरों में लड्डुओं और पकवान के पहाड़ (कूट) बनाए जाते हैं।
भाई की आयु और बहन के सौभाग्य की रक्षा का पर्व भैयादूज 15 को
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया यम द्वितीया और भाईदूज के नाम से जानी जाती है। ये शनिवार 15 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन कलम दवात पूजा भी होती है। इसी दिन भाई अपनी बहन के घर भोजन करते हैं। इसलिए यह भइया दूज नाम से भी विख्यात है।