#यूपी की राजनीति: अपनी अगुवाई में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है सपा, 20 सीटों पर मान सकती है कांग्रेस#
समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिहाज से यूपी में विपक्षी गठबंधन की कमान अपने पास रखना चाहती है। विपक्षी मोर्चा ”इंडिया” के बंगलुरु सम्मेलन में जातिवार जनगणना पर भी सभी दल सहमत दिखे। रालोद ने गठबंधन कायम रखने के लिए छोटे दलों का भरोसा न तोड़ने की नसीहत बड़े दलों को दी तो अपना दल (कमेरावादी) ने ओबीसी हितों को आगे रखकर चुनाव मैदान में कूदने का सुझाव दिया। इंडिया (समावेशी भारतीय राष्ट्रीय जनवादी गठबंधन) के बंगलुरु सम्मेलन में सबसे पहले इस बात पर सहमति बनी कि विभिन्न राज्यों में घटक दलों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इन मतभेदों को दरकिनार करते हुए भाजपा को हराने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के भी संबोधन का फोकस यही था कि हम एक होकर आगे बढ़ेंगे। सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल ने कहा कि जिस राज्य में जो क्षेत्रीय शक्ति मजबूत है, उसी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाए। जाहिर है कि सपा गठबंधन सहयोगियों के बीच यूपी में सीटों के बंटवारे में अपना हाथ ऊपर रखना चाहती है। रालोद के जयंत चौधरी के मन में यह आशंका दिखी कि राष्ट्रीय दल चुनाव से पहले छोटे क्षेत्रीय दलों का साथ तो ले लेते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनकी तरफ अपेक्षित ध्यान नहीं देते। सूत्रों के मुताबिक, जयंत ने बैठक में कहा कि बड़े दलों को यह प्रयास करना चाहिए कि उन पर भरोसा कायम रहे। ऐसा न हो कि चुनाव बाद छोटे दलों को साइड लाइन करने की कोशिश की जाए। अपना दल (कमेरावादी) के राष्ट्रीय महासचिव पंकज निरंजन ने कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों की आकांक्षाओं पर इंडिया को खरा उतरना होगा। चुनाव के साझा कार्यक्रम में यह कहना होगा कि हम जातिवार जनगणना के समर्थन में हैं। सत्ता मिलने पर यह करके दिखाएंगे, ताकि सबको उनकी आबादी के अनुपात में देश के संसाधनों में हिस्सा मिल सके। उधर, इंडिया का मंगलवार को सम्मेलन शुरू होने पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल का स्वागत किया। दोनों पहली बार इस बैठक में शामिल हुए थे। इंडिया के बंगलुरू में हुए दूसरे सम्मेलन में सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर सीधे कोई बातचीत नहीं हुई, लेकिन नेताओं ने अलग-अलग इन मुद्दों पर चर्चा जरूर की। माना जा रहा है कि यूपी में गठबंधन के तहत कांग्रेस 15-20 लोकसभा सीटों पर मान सकती है। शेष सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे की जिम्मेदारी सपा को सौंपी जा सकती है। इंडिया के सूत्र बताते हैं कि बसपा को लेकर भी विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस अभी नाउम्मीद नहीं है। अंदरखाने एक पूर्व राज्यसभा सदस्य के जरिये कांग्रेस और बसपा के बीच बातचीत चल रही है। यही वजह है कि बंगलुरू सम्मेलन में आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद को शामिल कराने का कोई प्रयास नहीं दिखा, क्योंकि इससे बसपा के साथ रिश्तों में खटास आने की पूरी संभावना थी। सूत्र बताते हैं कि बसपा का विकल्प खुला रखकर कांग्रेस यूपी में गठबंधन के सहयोगियों के बीच सीटों को लेकर अपनी सौदेबाजी की क्षमता को बनाए रखना चाहती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एनडीए की तुलना कहानी ”अलीबाबा और 40 चोर” से की। उन्होंने ट्वीट करके कहा-”वो 2 और जोड़ लेते तो 38+2=40 पूरे हो जाते…सबने वो पुरानी कहानी तो सुनी होगी?” अखिलेश ने कहा कि भारतीय इतिहास 18 जुलाई के दिन को देशभक्ति और सकारात्मक राजनीतिक के बंगलुरु आंदोलन के दिन के रूप में याद रखेगा। उन्होंने कहा कि देश की दो-तिहाई जनता भाजपा के खिलाफ है। इस बार भाजपा के सफाये के लिए सब एक हैं।