#BJP-अकाली साथ आते तो NDA को कितना होता फायदा? क्या पूरा होगा 400 पार का सपना#

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बीजेपी (BJP) ने साफ कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में उनका टारगेट 400 से ज्यादा सीटें जीतने का है. इसी कड़ी में गठबंधन के लिए रीजनल पार्टियों से लगातार बातचीत की जा रही है. बिहार में नीतीश कुमार को बीजेपी इंडिया से तोड़ चुकी है. यूपी में जयंत चौधरी भी बीजेपी के साथ आने वाले हैं. ये बात लगभग पक्की है. दक्षिण में भी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी से बातचीत चल रही है. इस बीच, पंजाब से भी बीजेपी-अकाली दल के बीच गठबंधन पर चर्चा की खबर आई थी. केंद्रीय अमित शाह ने खुलासा किया था कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत चल रही है. लेकिन अब बातचीत टूट गई है.

क्या अकाली-बीजेपी फिर होंगे एक?
अमित शाह ने एक कार्यक्रम में बताया था कि अकाली दल से बातचीत चल रही है. गठबंधन में किसको कितनी सीटें मिलेंगी इसको लेकर चर्चा हो रही है. हालांकि, अभी तक सीट शेयरिंग पर बात फाइनल नहीं हुई है. हालांकि, अब बातचीत खत्म होने की खबरें हैं. साफ है कि अगर बात बन जाती तो एनडीए का कुनबा और बड़ा हो जाता और नॉर्थ के राज्य पंजाब में भी बीजेपी की स्थिति मजबूत हो जाती.

4 साल पहले क्यों टूटा था गठबंधन?
बता दें कि बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल पुराने साथी हैं. साल 2020 में कृषि कानूनों के चलते अकाली दल ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था. हालांकि, 2021 में केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए थे फिर भी अकाली दल से दोबारा बात नहीं बन पाई थी. 2022 में अकाली दल ने बीएसपी के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था और सिर्फ 3 सीटें जीत पाया था.

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अकाली से गठबंधन का क्या है फायदा?
माना जा रहा है कि अगर बीजेपी और अकाली साथ आते तो पंजाब में दोनों की स्थिति मजबूत हो सकती थी. क्योंकि पंजाब में इंडिया गठबंधन बिखरा हुआ है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच पंजाब में सीट शेयरिंग नहीं हो पा रही है. ऐसे में अगर बीजेपी-अकाली का गठबंधन हो जाता तो उनके वोट शेयर में अच्छा खासा इजाफा होता जो सीटों में कन्वर्ट हो सकता था.

बीजेपी और अकाली के फिर से गठबंधन पर अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि हमारी विचारधारा जनसंघ के जमाने से जो थी, वही आज है और आगे भी रहेगी. जो भी हमारी विचारधारा में विश्वास रखता है और साथ में चलना चाहता है, उसका हमारी पार्टी स्वागत करती है.वहीं, बीजेपी के क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन और एनडीए के बढ़ते कुनबे पर अमित शाह ने कहा कि हम परिवार नियोजन में विश्वास जरूर करते हैं, लेकिन राजनीति में हम इसे नहीं मानते हैं. एनडीए में अभी कुछ और पार्टियां शामिल होंगी. 2024 के चुनाव से पहले बहुत से दल हमारे साथ आएंगे.

जान लें कि बीजेपी और अकाली दल 1996 से एक-दूसरे के साथी हैं. बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए में साथ आने और इधर यूपी में भी जयंत चौधरी के संकेतों के बाद अकाली दल भी एनडीए में आ सकता था. लेकिन सूत्रों के मुताबिक खबर आई है कि अकाली दल और बीजेपी के बीच गठबंधन की बात टूट गई है. सीट शेयरिंग में अकाली दल ज्यादा सीटों की मांग कर रहा है. इस पर बीजेपी राजी नहीं है. इसलिए गठबंधन की बात खटाई में भी पड़ सकती है. हालांकि, अभी कोई फाइनल फैसला नहीं हुआ है.