#जिला महिला अस्पताल में सफेद कोट में चल रहा दलाली का खेल#

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गोण्डा। जिला महिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर व निजी नर्सिंग होम की संचालिका के दलालों ने महिला अस्पताल की इमरजेंसी व ओपीडी को दलाली का अड्डा बना रखा है और अस्पताल में सफेद कोट में दलाली का खेल जमकर चल रहा है। यहां डॉक्टर व उनके दलालों द्वारा मरीजों को बरगलाकर अपने निजी सहारा अस्पताल में ले जाया जाता है जहां अस्पताल की संचालिका व संचालक मनमाने तरीके से जांच कराकर उनसे अत्यधिक शुल्क वसूलते हैं। पीड़ितों का कहना है कि ऐसे यमराज से सावधान रहें। जी हां अगर आपको गोंडा जिला महिला अस्पताल की ओपीडी व इमरजेंसी में या उसके बाहर डॉक्टर या स्टाफ व आशा बहू कोई शख्स मिलें और वह आपको या मरीज को सहारा अस्पताल ले जाने के लिए बरगलाएं तो समझ जाइए कि वह यमराज के मुंह में ले जा रही है,उन पर आंख बंद कर भरोसा न करें। ऐसा इसलिए क्योंकि जिला महिला अस्पताल की ओपीडी व इमरजेंसी और उसके आसपास मरीजों को बरगलाकर जिला महिला अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर अपने निजी अस्पतालों में ले जाने वाला गैंग सक्रिय कर रखा है जो मरीज को निजी अस्पताल ले जाते हैं। जहां अस्पताल की संचालिका व संचालक मनमाने तरीके से जांच कराकर उनसे अत्यधिक शुल्क वसूलते हैं। सूत्रों ने बताया कि जिला महिला अस्पताल की ओपीडी व इमरजेंसी और उसके बाहर खासकर चौबीस घंटे डॉ. माधुरी त्रिपाठी व अमित त्रिपाठी के द्वारा पाले गए दलाल वह आशा बहू व कुछ संदिग्ध किस्म के लोग मंडराते नजर आते हैं। इनमें कई डॉक्टर या अन्य स्टाफ की एप्रिन और बाकायदा गले में स्टेथोस्कोप लटकाए रहते हैं। जैसे ही बाहर से कोई गंभीर मरीज आया, यह गैंग सक्रिय हो जाता है। वहीं सूत्रों के द्वारा बताया जा रहा है कि जिला महिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर माधुरी त्रिपाठी व डॉ. अमित त्रिपाठी के द्वारा मरीजों और तीमारदारों को बताया जाता है कि जिला महिला अस्पताल में यहां पर डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है और विभिन्न जांचों से संबंधित मशीनें या तो खराब पड़ी हैं या फिर यहां इन जांचों की सुविधा है ही नहीं और यहां पर लापरवाही होती है। यहां आपको बेहतर सुविधा नहीं मिल पाएंगी उसके बाद तीमारदारों को बरगलाकर वे अपने दलालों के जरिए सहारा अस्पताल ले जाते हैं और अनाप-शनाप जांचें कराकर मनमाना शुल्क वसूलते हैं। जिला महिला अस्पताल से मरीजों को निजी अस्पताल ले जाने के कई मामले अस्पताल प्रशासन के सामने आ चुके हैं। यह संख्या उन मरीजों की है,जिन्होंने बाकायदा लिखित शिकायत अस्पताल प्रशासन से की है। वहीं कई बार सहारा हॉस्पिटल के संचालिका पर आरोप भी लगे कि वह जिला महिला अस्पताल से बरगलाकर हम लोगों को अपने निजी अस्पताल में भेजा गया है। कई बार जच्चा बच्चा की भी मौत हो चुकी है। निजी अस्पताल प्रबंधन के विरोध पर वहां पुलिस तक बुलानी पड़ी। सूत्रों के अनुसार इसमें कुछ एंबुलेंस वालों की भी व जिला महिला अस्पताल के आशा बहू और दलालों से सांठगांठ है। वहीं सूत्रों के द्वारा यह भी बताया गया कि मरीज की स्थिति गंभीर बताते हुए आईसीयूू मेें रखने की बात कहा जाता है। 24 घंटे के तीस हजार रुपए ले लिए। दवाओं का खर्च सो अलग।परिजनों ने आपत्ति जताते हुए मरीज को महिला अस्पताल ले जाने की बात कही तो निजी अस्पताल वाले मरीज को खतरा बताते हुए डराने लगे। महिला अस्पताल प्रशासन तक जब यह शिकायत पहुंची कि उनके अस्पताल से मरीज को बरगलाकर जबरन वहां से ले जाया गया है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब कुछ समाज सेवी ने आगे आकर ओपीडी व इमरजेंसी कक्ष की व्यवस्थाओं को सुधारने और दलालों पर अंकुश लगाने की बात कही है। सीएमओ का कहना है कि मरीजों को जिला महिला अस्पताल से बरगलाकर और जबरन निजी अस्पताल ले जाने वालेे दलालों को चिह्नित किया जा रहा है। उन्हें पकड़कर पुलिस के हवाले किया जाएगा।