#रिटायर्ड IAS ऑफिसर के खिलाफ केस दर्ज, रिश्वत लेने और सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने का लगा आरोप#

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गुजरात पुलिस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक रिटायर्ड अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जानकारी के मुताबिक, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के खिलाफ लोक सेवक के तौर पर कथित तौर पर आपराधिक मामलों में शामिल होने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
रिश्वत लेने, सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने का आरोप
उन्होंने कहा कि गांधीनगर कलेक्टर के पद से रिटायर्ड हुए एस के लंगा के खिलाफ जिला कलेक्ट्रेट के एक अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई थी। शिकायत के आधार पर बुधवार रात गांधीनगर के सेक्टर 7 पुलिस थाने में पूर्व अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसमें कहा गया कि लंगा कथित रूप से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत रिश्वत लेते हुए पाया गए थे। वह विभिन्न अपराधों में भी शामिल थे, जिससे विश्वास का आपराधिक उल्लंघन हुआ। इसके अलावा, उन पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने आईएएस के पद पर रहते हुए सरकारी खजाने का भी दुरुपयोग किया है।

सरकारी खजाने का किया नुकसान
शिकायत के अनुसार, गांधीनगर जिले के तत्कालीन कलेक्टर के रूप में, लंगा ने अपने साथी अधिकारियों के साथ साजिश रची और अपने सहयोगियों और रिश्तेदारों के वित्तीय लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने अवैध तरीकों से जमीन के एक हिस्सा को गैर-कृषि भूमि उपयोग की अनुमति दी और सरकार को देय प्रीमियम का भुगतान नहीं किया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

आय से अधिक संपत्ति की हासिल
एफआईआर में यह भी कहा गया है कि पूर्व आईएएस ने 6 अप्रैल, 2018 और 30 सितंबर, 2019 के बीच अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने भ्रष्ट तरीकों से अपने साथियों को भारी वित्तीय लाभ देने में मदद की और अपने परिवार के सदस्यों के लिए आय से अधिक संपत्ति को भी हासिल किया।
विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज

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पूर्व आईएएस ऑफिसर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409 (लोक सेवक के रूप में संपत्ति के संबंध में आपराधिक विश्वासघात), 168 (लोक सेवक के रूप में अवैध रूप से व्यापार में संलग्न), 193 (झूठे व्यापार के लिए सजा), 196, 465 (जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि उसके खिलाफ रिश्वत की स्वीकृति (13 (1) (ए), 13 (1) (बी) के माध्यम से आपराधिक कदाचार से निपटने वाले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।