Mainpuri By Election: मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल बनाम रघुराज, जानें दोनों एक-दूसरे के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
गुजरात चुनाव के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो वह है मैनपुरी लोकसभा सीट की। उपचुनाव में यहां से मुलायम सिंह यादव की बहू और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने ताल ठोका है। डिंपल के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने रघुराज सिंह शाक्य मैदान में हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के साथ ही आज यानी सोमवार को पांच राज्यों की छह विधानसभा सीटों और उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है। जिन पांच राज्यों के विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर और खतौली, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुरहनी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं।
हालांकि, गुजरात चुनाव के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो वह है मैनपुरी लोकसभा सीट की। उपचुनाव में यहां से मुलायम सिंह यादव की बहू और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने ताल ठोका है। डिंपल के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने रघुराज सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है। रघुराज सिंह शाक्य का नाम इसलिए जरूरी है क्योंकि वह अखिलेश के चाचा और इटावा से विधायक शिवपाल सिंह यादव के काफी करीबी रहे हैं।
फरवरी तक वह शिवपाल यादव की पार्टी में थे। शिवपाल और अखिलेश में समझौता होने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। आइए जानते हैं रघुराज शाक्य के बारे में सबकुछ। यादव परिवार से शाक्य के क्या रिश्ते हैं? मैनपुरी में शाक्य और डिंपल यादव एक-दूसरे के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन सकते हैं?
पहले रघुराज सिंह शाक्य के बारे में जान लीजिए
रघुराज सिंह शाक्य को शिवपाल सिंह याादव का काफी करीबी माना जाता था। 1999 और 2004 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर इटावा लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। 2004 में सपा ने इटावा लोकसभा से शाक्य को प्रत्याशी बनाया था, तब उन्हें 367,807 वोट मिले थे। 2009 में फतेहपुर सीकरी से शाक्य को सपा ने टिकट दिया था। हालांकि, तब वह चौथे नंबर पर रहे थे। 2012 में इटावा विधानसभा से टिकट मिला और शाक्य चुनाव जीत गए।
2017 में जब शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच अनबन शुरू हुई तो शाक्य भी शिवपाल के साथ प्रगतिशील समाज पार्टी में आ गए। इस बार 2022 का विधानसभा चुनाव प्रसपा-सपा गठबंधन से लड़ने की तैयारी में थे। उन्हें भरोसा भी दिया गया था कि इटावा से उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन आखिरी वक्त में सपा ने वहां से सर्वेश शाक्य को मैदान में उतार दिया। सर्वेश पूर्व सांसद रामसिंह शाक्य के बेटे हैं। इससे नाराज रघुराज ने आठ फरवरी 2022 को प्रसपा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
दोनों एक-दूसरे के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘रघुराज सिंह शाक्य समाजवादी पार्टी के पुराने नेता रहे हैं। मुलायम-शिवपाल सिंह यादव के करीबी रहे। यादव परिवार में उनकी अच्छी दखल थी। ऐसे में उनका सपा के खिलाफ चुनाव लड़ना बड़ा सियासी संदेश है। वह सपा के वोट में सेंध लगा सकते हैं। खासतौर पर मैनपुरी में शाक्य वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में रघुराज सिंह शाक्य भाजपा के लिए लकी साबित हो सकते हैं।’
प्रमोद आगे कहते हैं, ‘कुछ समय पहले तक अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच काफी अनबन थी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दोनों एक बार फिर से करीब आ गए। मैनपुरी उपचुनाव के प्रचार-प्रसार के दौरान दोनों की नजदीकियों ने सियासी गलियारे में काफी हलचल बढ़ा दी। खासतौर पर भाजपा के लिए ये अच्छा संदेश नहीं गया।’
प्रमोद के अनुसार, ‘पहले ये माना जा रहा था कि उपचुनाव में पर्दे के पीछे से शिवपाल अपने करीबी रघुराज सिंह शाक्य और भाजपा की मदद कर सकते थे, लेकिन उन्होंने इसके ठीक उलट किया। उपचुनाव में उन्होंने डिंपल के लिए पूरी ताकत झोंक दी। अखिलेश यादव से ज्यादा प्रचार शिवपाल ने मैनपुरी में किया। ऐसे में अब ये कहा जा सकता है कि इस बार लड़ाई कांटे की होने वाली है। दोनों उम्मीदवार एक-दूसरे को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।’
मैनपुरी का क्या है समीकरण?
मैनपुरी में अभी करीब 17 लाख वोटर्स हैं। इनमें 9.70 लाख पुरुष और 7.80 लाख महिलाएं हैं। 2019 में इस सीट पर 58.5% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मुलायम सिंह यादव को कुल 5,24,926 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य के खाते में 4,30,537 मत पड़े थे। मुलायम को 94,389 मतों के अंतर से जीत मिली थी।
जातीय समीकरण की बात करें तो ये सीट पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की बहुलता वाली सीट है। यहां सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं। इनकी संख्या करीब 3.5 लाख है। शाक्य, ठाकुर और जाटव मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। इनमें करीब एक लाख 60 हजार शाक्य, एक लाख 50 हजार ठाकुर, एक लाख 40 हजार जाटव, एक लाख 20 हजार ब्राह्मण, एक लाख लोधी राजपूतों के वोट हैं। वैश्य और मुस्लिम मतदाता भी एक लाख के करीब हैं। कुर्मी मतदाता भी एक लाख से ज्यादा हैं।
मैनपुरी लोकसभा सीट में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें चार सीटें- मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल मैनपुरी जिले की हैं। इसके साथ ही इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी इस लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की दो सीटों पर भाजपा, जबकि दो पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। इसमें मैनपुरी और भोगांव भाजपा के खाते में गई थी, जबकि किशनी और करहल सपा के। करहल से खुद अखिलेश यादव विधायक हैं। वहीं, इटावा की जसवंतनगर सीट पर सपा के टिकट पर शिवपाल सिंह यादव जीते थे।