Nagaland Election: महिलाओं की स्थिति अच्छी होने के बाद भी नॉर्थ-ईस्ट के इस राज्य में क्यों अब तक कोई महिला नहीं बनी विधायक?
North East में एक ऐसा राज्य है, जहां राजनीति महिलाओं की स्थिति काफी हैरान करने वाली है. हालात ये हैं जब से राज्य का गठन हुआ है, तब से आज तक एक भी महिला विधानसभा चुनाव नहीं जीती है. नागालैंड को 1963 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. तब से इस पूर्वोत्तर राज्य में 13 चुनाव हो चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि विधानसभा के लिए कभी कोई महिला निर्वाचित नहीं हुई है. यह तब है जब देश में इंदिरा गांधी, जयललिता, मायावती समेत कई महिलाओं ने शक्तिशाली पदों को संभाला है. नागालैंड में अच्छे सामाजिक पैरामीटर होने के बावजूद ऐसी स्थिति क्यों है, इसे समझना बेहद मुश्किल है.
नागालैंड की महिला साक्षरता दर 76.11 प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 64.6 प्रतिशत से काफी बेहतर है. यहां तक कि पुरुषों की भी साक्षरता दर काफी अच्छी है. इसी के साथ राज्य में कई महिला अधिकार संगठनों का भी अच्छा-खासा प्रभाव है. ऐसे में सवाल उठता है कि राजनीति महिला का ट्रैक रिकॉर्ड खराब क्यों है?
केवल 20 महिलाओं ने लड़ा विधानसभा चुनाव
नागालैंड में अभी तक केवल 20 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा है. 2018 के चुनाव में 5 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था, ये संख्या अब तक की सबसे अधिक थी. इन उम्मीदवारों में तीन को वोटों का छठा हिस्सा भी नहीं मिला. आपको जानकार हैरानी होगी कि राज्य में अब तक जिन 20 महिलाओं ने चुनाव लड़ा है, उनमें से 13 का भी यही हश्र हुआ है.
राजनीति में महिलाओं का विरोध
ऐसा इसलिए है, क्योंकि नागालैंड में चुनावी राजनीति में महिलाओं का विरोध होता रहा है. उदाहरण के लिए, 2017 में, जनजातीय समूहों ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान का विरोध किया था. इस दौरान किए गए विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई थी और दो लोगों की मौत हो गई थी.
‘महिलाएं निर्णय नहीं ले सकतीं’
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आरक्षण नागालैंड के विशेष अधिकारों का उल्लंघन करता है. अनुच्छेद 371 (ए) नागा प्रथागत कानूनों और प्रक्रियाओं की रक्षा करता है. यह दावा किया गया है कि महिलाएं निर्णय लेने के स्थानों में नहीं हो सकती हैं. साथ ही राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट देने से कतराते रहे हैं. यहां तक कि महिलाएं भी महिला उम्मीदवारों के लिए मतदान में आगे नहीं आ रही हैं. अब तक केवल एक महिला को ग्राम सभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया है.
क्या यह स्थिति बदल सकती है?
नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने नागा लोगों से अपनी इस मानसिकता को बदलने का आग्रह किया है कि महिलाएं निर्णय लेने की जगह पर नहीं हो सकती हैं. नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) ने 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में लैंगिक समानता का वादा किया है.
एनडीपीपी ने पश्चिमी अंगामी और दीमापुर-तृतीय निर्वाचन क्षेत्रों से दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. कुल मिलाकर, चार महिलाओं ने विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी ने भी टेनिंग और अटोइजू सीटों पर एक-एक महिला को मैदान में उतारा है.
12 मार्च को आएंगे नतीजे
अब सभी की निगाहें 12 मार्च पर टिकी हैं, जब दो और पूर्वोत्तर राज्यों (मेघायल और त्रिपुरा) के साथ नगालैंड चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे. बीजेपी त्रिपुरा को बनाए रखने और दो अन्य राज्यों में अपने रूटमैप का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. दूसरी ओर, कांग्रेस और वामपंथी भी इन राज्यों में जमीन हासिल करने के लिए छटपटा रहे हैं. टीएमसी भी पश्चिम बंगाल से परे अपना प्रभाव दिखाना चाहती है.