अपने प्रियवर राम के लिए बाहें पसारे नव्य, दिव्य और भव्य अयोध्या जन्मभूमि पर रामलला के पुनप्र्राणप्रतिष्ठित होने की चिर संचित अभिलाषा के साकार होने के लिए अकुलाई है। भाव विभोर करने वाले क्षण के लिए वह आतुर और उत्सुक भी है। वही 500 वर्षों तक खिंचे संघर्ष में जकड़ी साध के पूरे होने की लालसा से आप्यायित भी। अपने प्रेमास्पद के लिए हर्षित रामनगरी आनंदातिरेक के स्पंदन से थिरक रही है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सजी-धजी अयोध्या ने यदि अपने मोहिनी रूप से पूरे भारत को अपने आंचल में समेट लिया है तो वह प्रभु श्रीराम की सार्वभौमिक सत्ता की अनुभूति भी करा रही है। अयोध्या के मुख्य मार्गों के दोनों ओर अवस्थित भवनों के पीले रंग अहसास करा रहे हैं कि साकेत बिहारी के आगमन के लिए मानो अवधपुरी ने भी पीतांबर धारण कर लिया हो।
जगमग कर रहा है शहर
रात में भवनों पर बिजली की झालरों की जगमगाहट, अपने आराध्य और उनके भक्तों के स्वागत में जगह-जगह बनाये गए फूलों के तोरण द्वार, सड़कों पर लगे आकर्षक मार्ग प्रकाश बिंदु, बहुमंजिला पार्किंग और शापिंग कांप्लेक्स वर्षों वीत रागी भाव से ग्रसित अयोध्या के निखरे रूप और नई स्पृहा का आभास कराते हैं। कड़ाके की ठंड में कहीं भंडारों पर अगल-बगल खड़े होकर चाय की चुस्कियां लेते तो कहीं पूड़ी-सब्जी जीमते धनाढ्य और कंगले अयोध्या पर अन्नपूर्णेश्वरी के आशीर्वाद की बानगी हैं।
रहस्य और कौतूहल के कुहासे में लिपटी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की पूर्ण भव्यता की झलक पाने की हसरत पर पीले और नारंगी गेंदा के फूलों की लड़ों से सुसज्जित उसके द्वार पर्दा डालते हैं। फूलों से सजे अर्ध चंद्राकार मुख्य द्वार की आभा पर अपनी आश्चर्य दृष्टि पड़ते ही कंधे पर पिट्ठू बैग टांगे रायपुर से आए आइटीआइ छात्र वरुण मिश्र इस नजारे को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करने का मौका नहीं चूकते।
दूर दराज से पहुंचे लोग
ओडिशा के खोरधा के डिगरीसाही गांव से आए मछुआरों के दल के सदस्य भास्कर तो द्वार के आगे साष्टांग दंडवत कर प्रभु की सत्ता को सादर नमन करते हैं। पवनसुत के दर्शन कर हनुमानगढ़ी की सीढि़यों से उतर रहे ओडिशा के बरहामपुर जिले से आए किरण स्वामी के लिए प्राण प्रतिष्ठा के समय प्रभु की जन्मभूमि पर उपस्थित होना दिव्य अनुभूति है।
साइकिल के करियर पर राम मंदिर को लादे वृद्ध किंतु उत्साही नेमाराम को गुजरात से अवधपुरी आने में एक माह से अधिक समय लगा, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या पहुंचने का मनोरथ पूरा होने का संतोष भी उनके मुख पर दिखा।
वहीं गुवाहाटी से साथियों संग आए शिवकुमार रंगमहल के पास भंडारा संचालित कर इसे रामकाज में अपना तुच्छ योगदान मानते हैं। तमिलनाडु से आईं एस.राधिका घुटनों में दर्द के बावजूद हनुमानगढ़ी की सीढि़यां इस आत्मबल के साथ चढ़ रही हैं कि हनुमत कृपा के बिना राम दरबार का दर्शन सुलभ नहीं।
विदेशों से भी पहुंच रहे लोग
देश के अंदर तो अयोध्या जिज्ञासा का विषय है ही, इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने के लिए विदेश के रामभक्त भी बरबस अवधपुरी खिंचे आए हैं। राम की सत्ता सर्वव्यापी जो है। सरयू स्नान के बाद हनुमानगढ़ी का दर्शन कर निकले नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोपाल प्रसाद पराजुली राम की धरा पर उपस्थिति से अपना जीवन धन्य मानते हैं। उनके साथ आईं नेपाल की सांसद हरिप्रभा गर्व से जनकपुर (नेपाल) और अयोध्या के त्रेतायुगीन रिश्ते का बखान करती हैं।
लोगों में दिख रहा गजब का उत्साह
कहती हैं कि माता सीता जनकपुर की बेटी थीं। इसी टोली की सदस्य ज्योत्सना साहू के पति नेपाल के परराष्ट्र (विदेश) मंत्री हैं। नेपाल में विश्व ¨हदू महासंघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज्योत्सना यह बताना नहीं भूलतीं कि उनकी शादी भी माता जानकी के विवाह मंडप में हुई थी। यहां आकर कैसा लगा रहा है।
इस सवाल पर कहती हैं कि ‘प्रभु कृपा से कुछ हो रहा है, कुछ और अच्छा होने वाला है।’ राम पथ पर फुटपाथ पर सजावटी सामानों की दुकान पर इंग्लैंड से आए बैरी फ्राकिन मिले। तकरीबन 20 वर्षों बाद अयोध्या के नए रूप से वह अचंभित हैं।
कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की तरह वह भी रामभक्त हैं। रात के दो बजे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के द्वार को अपलक निहार रहे अपने साथी के साथ बांग्लादेश से आए सत्यजीत मंडल भी अयोध्या दर्शन से अभिभूत हैं। वह बताते हैं कि दो वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके क्षेत्र में स्थित जशोरेश्वर काली मंदिर में ‘मां’ के दर्शन करने आए थे।