ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के हॉस्पिटल के एसी में हुए ब्लास्ट में पति की मौत की खबर सुनकर उसके अंतिम संस्कार के एक दिन बाद दुखी पत्नी ने आत्महत्या कर ली. दरअसल अस्पताल वालों ने महिला और उसके परिजनों को यकीन दिलाया था 34 साल का दिलीप सामंतरे उस हादसे में मारा गया जिसमें अस्पताल के कुछ अन्य कर्मचारी भी घायल हो गए थे. दिलीप की 24 साल की पत्नी को पति की जुदाई का गम सहन नहीं हुआ इसलिए उसने सुसाइड करके जिंदगी खत्म कर दी.
गलती से उजड़ गया परिवार
इस जानलेवा गलती का खुलासा होने के बाद पीड़ित परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा और प्रदर्शन किया. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक भुवनेश्वर के हाई-टेक मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल ने शुक्रवार शाम को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि एसी ब्लास्ट से हुए हादसे में घायल चार टेक्नीशियन की टीम में शामिल दिलीप सामंतरे जीवित हैं और जलने के बाद उसी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
कैसे हुई गलती?
हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने बताया कि AC की रिपेयरिंग के लिए तकनीशियनों को एक निजी फर्म द्वारा नियुक्त किया गया था. धमाके के बाद इलाज के लिए भर्ती कराए जाने के दौरान, चारों बंदों की पहचान फर्म से जुड़े ठेकेदार ने की थी, इसलिए यह ठेकेदार की गलती थी ना कि अस्पताल प्रशासन की. हमने सभी कानूनी और चिकित्सा प्रक्रियाओं का पालन किया. बाद में पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया. परिवार में से किसी ने भी यह नहीं बताया कि शव दिलीप का नहीं है. ऐसे में यह गलती हो गई.
मैकेनिक ज्योतिरंजन की हुई थी मौत
बाद में खुलासा हुआ कि मृतक दिलीप नहीं बल्कि उसका साथी मैकेनिक ज्योतिरंजन मल्लिक था. 29 दिसंबर को चार लोगों की टीम अस्पताल में एसी की सर्विसिंग कर रही थी, तभी अचानक हुए धमाके से चारों गंभीर रूप से झुलस गए थे. अस्पताल ने 30 दिसंबर को ज्योतिरंजन मल्लिक को मृत घोषित कर दिया, लेकिन कथित तौर पर उसकी पहचान में गलती कर दी गई. तीन जनवरी को सिमंललंद श्रीतम नाम के मैकेनिक की भी मौत हो गई. तब तक पहला शव जो ज्योतिरंजन मल्लिक का था उसे दिलीप का समझकर उसके परिजनों को सौंप दिया था.