#गोरखपुर का गोलघर गलियाराः लालजी टंडन ने पुलिस से खाली करवाए..सपाई राज में करा दिए पक्के कब्जे#

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गोलघर के गलियारे एक बार फिर चर्चा में हैं। पूर्व नगर आयुक्त गोपी कृष्णबताते हैं कि तत्कालीन नगर विकास मंत्री लालजी टंडन ने गोलघर को लेकर स्पष्ट आदेश दिया था कि बरामदे खाली होंगे और जिम्मेदारी पुलिस की होगी। बाकी जगहों के साथ इन गलियारों पर भी कब्जा तकरीबन 12 वर्ष पूर्व सपा सरकार में हुआ था। उस वक्त मेयर अंजू चौधरी थीं।
भाजपाई मेयर ने इसका विरोध भी किया था। लेकिन, तत्कालीन अफसराें ने बड़ी खामोशी से कब्जे पर वैधता की आखिरी मुहर लगा दी। पुराने नेता, अधिकारी और शहरवासियों की भी दिली इच्छा हैकि शहर की हृदयस्थली गोलघर के बरामदों से कब्जे हट जाएं तो यह भी दिल्ली के कनाट प्लेस मार्केट की तरह ही खूबसूरत नजर आएगा।

बरामदे को मौखिक तौर पर आवंटित कर दिया और किराये की रसीद में गोलमोल तरीके से बरामदे को अंकित कर सरकारी शुल्क जमा कराकर वैध दिखा दिया। यह बात तीन नवंबर 2011 की है। मौखिक आदेश पर कब्जा दिला दिया गया। इसके बाद मामले पर तत्कालीन समय के जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली।

पूर्व मेयर अंजू चौधरी खुद बताती हैं कि जब इस मुद्दे को उनके सामने लाया गया तो उन्होंने मना कर दिया, लेकिन किराया जमा कराने की जानकारी उन्हें नहीं दी गई। यानी सब कुछ, पूर्व मेयर को अंधेरे में रखकर अफसरों ने कर डाला और गोरखपुर के कनाट प्लेस की सूरत बिगाड़कर चले गए।

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दरअसल, शहर के मुख्य बाजार गोलघर को दिल्ली के कनाट प्लेस की तर्ज पर ही बसाया गया था। दुकानों के सामने बरामदे छोड़े गए, ताकि लोग वहां आसानी से टहल कर दुकानों में खरीदारी करें और गाड़ियां जाम की वजह भी न बनें। दिल्ली के कनाट प्लेस की सूरत तो वक्त बदलने के साथ और आकर्षक होती गई, लेकिन अपना गोलघर बाजार बदहाल होता चला गया।

नक्शे में बरामदा होने के बावजूद प्राइवेट मालिकों को दुकान के आगे निर्माण की छूट दे दी गई। कचहरी चौक से गोलघर में प्रवेश करने पर दोनों साइड की दुकानें इसका उदाहरण हैं, वहां पर कभी बरामदा हुआ करता था, लेकिन लंबे समय से सिर्फ फुटपाथ ही बचा है।

नगर निगम के अफसरों ने किराए के नाम पर मौखिक आंवटन करा दिया तो बरामदे में दुकानें लगने लगीं। हिम्मत बढ़ी तो व्यापारी दो कदम और आगे आ गए। उन्होंने पक्का निर्माण करा कर रास्ता ही बंद कर दिया। मौजूदा समय में गोलघर की सुंदरता बढ़ाने के लिए अब प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की पहल की है।

पुलिस और नगर निगम की टीम ने बरामदा खाली कराना शुरू कर दिया। इसके बाद से ही व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें जगह आवंटित की गई है और वे किराया देते हैं। इस विरोध के चलते अतिक्रमण पूरी तरह से हट नहीं पाया है।

गोलघर के दुकानदार अगर गलियारे में कर जमा करने की रसीद रखें हैं तो वे नगर निगम के जिम्मेदारों के सामने अपनी बात रखें। दुकान के बाहर गलियारा लोगों के आने-जाने के लिए और अन्य सुविधाएं के लिए बना था। नगर निगम भी पत्रावलियों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करेगा।- डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, मेयर

जिन दुकानदारों के पास गलियारे के आवंटन का प्रपत्र है, वे निगम में दाखिल करें। इसका परीक्षण करवाया जाएगा। कर जमा करना दूसरी बात है। नगर निगम आम लोगों की सहूलियत के लिए अवैध कब्जों पर लगातार कार्रवाई करवा रहा है, यह आगे भी जारी रहेगा।- गौरव सिंह सोगरवाल, नगर आयुक्त

जब मैं मेयर थी, उस समय बरामदे का मुद्दा आया था। लेकिन, साफ कह दिया गया था कि यह आवंटित नहीं हो सकता है। यह आम लोगों के चलने के लिए बना है, न कि दुकान चलाने के लिए। तब भी मेरे द्वारा यही निर्देशित किया गया था कि दुकान को अंदर रखें और सामान हटाकर बरामदे को खाली रखा जाए। आंवटन की कोई जानकारी नहीं है।- अंजू चौधरी, पूर्व मेयर

व्यापारी बरामदे का किराया जमा करते हैं। लंबे समय से बरामदे का इस्तेमाल होता आया है। कुछ जगहों पर तो स्थायी निर्माण भी कराया गया है। अचानक नगर निगम की कार्रवाई ठीक नहीं है। हर महीने व्यापारियों के साथ बैठक होती है। व्यापारियों के साथ नगर निगम को बैठकर बात करनी चाहिए। हम लोगों ने ज्ञापन भी दिया है। व्यापारियों का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। इसका हल सिर्फ बातचीत से ही निकल सकता है।- अभिषेक शाही, अध्यक्ष, गोलघर व्यापार मंडल

दिल्ली के कनाट प्लेस की तरह ही गोरखपुर का गोलघर है। इसे लोगों ने कब्जा करके बर्बाद कर दिया है। अगर बरामदे खाली रहते तो लोग सुरक्षित तरीके से खरीदारी कर सकते हैं। इतना ही नहीं व्यापारियों को भी इसका फायदा होता। गोरखपुर में मेरा कार्यकाल दो बार रहा है। उस दौरान कई बार बरामदे को खाली कराया गया, लेकिन फिर से कब्जा हो जाता था। वर्ष 1999-2000 के बीच तत्कालीन नगर विकास मंत्री लालजी टंडन ने गोलघर को लेकर स्पष्ट आदेश दिया था कि बरामदे को खाली कराया जाए और इसे खाली रखने की जिम्मेदारी पुलिस की होगी। आज भी अगर पुलिस नियमित तौर पर खाली कराने के बाद निगरानी करें तो विश्वास मानिए, यह पूरी तरह से कनाट प्लेस की तरह बन जाएगा।- गोपी कृष्ण, पूर्व उप नगर आयुक्त