आजमगढ़:2017 में सिर्फ एक सीट जीती थी बीजेपी,2022 में सपा के गढ़ में कर पाएंगी सेंधमारी

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पूर्वांचल का आजमगढ़ जिला अपनी सियासी पहचान के लिए पूरे देश में विख्यात है. यहां से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सांसद हैं. इस जनपद को नवाब आजमशाह ने बसाया था. इसी कारण इसका नाम आज़मगढ़ पड़ा.15 नवम्बर 1994 को 14वें मंडल के रूप में आजमगढ़ मंडल का सृजन किया गया.

आजमगढ़ जिले में आठ तहसीलें है, जो लालगंज, सदर, सगड़ी, मेंहनगर, बूढ़नपुर, निजामबााद, मार्टीनगंज व फूलपुर है. सबसे बड़ी तहसील निजामबााद है. आज़मगढ़ में 22 ब्लॉक है, 10 विधानसभा, वह 2 लोकसभा सीट है, 2 नगरपालिका व 11 नगर पंचायत भी है.

तमसा नदी के तट पर स्थित आजमगढ़ उत्तर प्रदेश राज्य का एक महत्‍वपूर्ण जिला है. यह जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है. आजमगढ़ गंगा और घाघरा नदी के मध्य बसा हुआ है. ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण था. यह जिला मऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और अम्बेडकर जिले की सीमा से लगा हुआ है.

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पर्यटन की दृष्टि से महाराजगंज, दुर्वासा, मुबारकपुर, मेहनगर, भंवरनाथ मंदिर और अवन्तिकापुरी आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है. विक्रमजीत सिंह गौतम के पुत्र आजम शाह, जो एक शक्तिशाली जमींदार था, शाहजहां के शासनकाल के दौरान 1665 ई. में आजमगढ़ की स्थापना करवाई थी. इसी कारण इस जगह को आजमगढ़ के नाम से जाना जाता है. स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह का विशेष महत्व रहा है.

जिले का सामाजिक-आर्थिक तानाबाना

आजमगढ़ जिले में सभी धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं. एक दूसरे से लोगों के व्यापारिक और आर्थिक संबंध है. ऋषि-मुनियों की धरती आजमगढ़ तपोस्थली के रूप में भी जानी जाती है, यहां पर देवल दत्तात्रेय दुर्वासा ऋषि चंद्रमा ऋषि के साथ कई पौराणिक मंदिर और लाइब्रेरी है. विश्व विख्यात मदरसे है, जिसमें देश विदेश से पढ़ने बच्चे आते हैं.

इसके साथ ही यहां पर इस धरती को कवियों और शायरों के इस धरती से भी जोड़ा जाता है, जहां पर राहुल सांकृत्यायन, हरिऔध उपाध्याय लक्ष्मी नारायण मिश्र, अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफ़ी आज़मी, शबाना आजमी के नाम से भी जाना जाता है. जिले का सामाजिक ताना-बना एक दूसरे से जुड़ा हुआ भी है.

जिले का आर्थिक ताना-बाना विश्व विख्यात काली मिट्टी के बर्तन ( ब्लैक पॉटरी ) है, जिसे हाल में सरकार ने वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट रूप में चुना है. इसमें हजारों कुम्हारों को रोजगार से जोड़ा गया है. दूसरी तरफ चीनी की मिल है, यहां के किसान अपने गन्ने को उठाकर कैश क्रोफ के रूप में उपयोग में लाते हैं.

साथ ही बुनकर बाहुल्य क्षेत्र में वस्त्र बुनाई, बनारसी साड़ी और सूट हथकरघा प्रमुख उद्योग हैं. साथ ही यहां पर कोई बड़े उद्योग कल कारखाने ना होने के कारण बेरोजगार युवक विदेशों में नौकरी करते हैं और वहां से अपना जीवन यापन करते हैं. कुछ समय से यहां अंडे के उत्पादन में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. साथ ही चावल, गेहूं और गन्ना यहां की मुख्य फसलें हैं.

राजनीतिक इतिहास

आजमगढ़ जिले को राजनीतिक रूप से अगर देखा जाए तो पूर्वांचल का सबसे महत्वपूर्ण जिला है. आजादी के बाद से लेकर कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता यहां से पैदा हुए जो राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी रहे. समय-समय पर क्षेत्रीय पार्टियां इस जिले को अपना गढ़ कहती रही हैं. कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसे अपना गढ़ बना लिया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी आजमगढ़ में अपनी पैठ जमाने की कोशिश कर रही है.

2017 का रिजल्ट

2017 के विधान सभा चुनाव का नतीजा देखा जाए तो यहां पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा. कुल 10 सीटों में 5 सीट समाजवादी पार्टी को मिली और 4 सीट बहुजन समाजवादी पार्टी को, केवल एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी को संतोष करना पड़ा. यहां पर ओबीसी, अल्पसंख्यक और एससी की आबादी बहुतायत है.

जिले की बड़ी राजनीतिक हस्तियां

दुर्गा प्रसाद यादव: आजमगढ़ सदर सीट से दुर्गा प्रसाद यादव लगातार आठ बार से विधायक हैं. दुर्गा प्रसाद यादव की गिनती समाजवादी पार्टी में फाउंडर मेंबर के रूप में होती है.

रमाकांत यादव: आजमगढ़ सीट से बाहुबली रमाकांत यादव चार बार सांसद और चार बार विधायक रह चुके हैं, कभी जनता दल, कभी बहुजन समाज पार्टी, कभी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे और अब समाजवादी पार्टी की राजनीति कर रहे हैं.