सिधारी स्थित उपभोक्ता आयोग में वर्तमान में कुल 799 वाद लंबित हैं। जनवरी में दर्ज हुए मुकदमों की संख्या 151 रही है। जिसमें से 118 मुकदमों का निस्तारण हुआ। फरवरी और मार्च महीने में उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पद पर किसी की तैनाती न होने के कारण किसी भी मुकदमे का निस्तारण नहीं हो सका। अप्रैल महीने में अध्यक्ष की तैनाती हुई तो कुल 724 मामले लंबित थे। मई माह में 75 मामले दर्ज हुए।
मई से लेकर अगस्त तक कुल 52 मुकदमों का निस्तारण हुआ। अगस्त माह से लेकर अब तक 747 मामले लंबित हैं। जबकि सितंबर का पूरा महीना अधिवक्ताओं की हड़ताल में निकल गया। जिसके कारण एक भी मुकदमे का निस्तारण नहीं हुआ।
00 केस एक
आदेश होने के बाद भी पीड़ित के मामले का निस्तारण नहीं
उपभोक्ता आयोग के समक्ष एक ऐसा मामला आया जिसमें आदेश होने के बाद भी पीड़ित के मामले का निस्तारण नहीं हुआ। बूढ़नपुर पीड़ित नंदराम चौहान ने आयोग को बताया कि उसका क्षेत्रीय गांधी आश्रम बूढ़नपुर पर 14 लाख रुपये बकाया है। कई तारीखों में मुकदमा चला। इसके बाद आयोग ने नंदराम चौहान के पक्ष में फैसला देते हुए गांधी आश्रम बूढ़नपुर को उसे 14 लाख रुपये देने का आदेश दिया।
काफी दिन बीतने के बाद भी जब गांधी आश्रम की ओर से नंदराम को पैसा नहीं दिया गया तो वह फिर आयोग की शरण में पहुंचा। आयोग ने तहसीलदार बूढ़नपुर को उक्त रकम की वसूली कर नंदराम को देने का आदेश दिया। लेकिन तहसीलदार बूढ़नपुर द्वारा भी इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। तब एक बार फिर नंदराम आयोग की शरण में पहुंचा। आयोग ने इस मामले में तहसीलदार बूढ़नपुर के खिलाफ प्रकीर्ण वाद वाद दर्ज कराया।
00
केस दो
धान का बीज खराब निकलने पर दो लाख 10 हजार देने का आदेश
चिरकिहिट गांव निवासी अविनाश राय ने आयोग में बताया कि ठेकमा बाजार स्थित मौर्या बीज भंडार से पांच जून 2008 को उन्होंने 7900 रुपये देकर धान का बीज लिया जो बेकार निकल गया। इस पर उन्होंने मौर्या भंडार और पीएचआई सीड्स लिमिटेड हैदराबाद आंध्रप्रदेश के खिलाफ मुकदमा दायर कर आरोपी बनाया। सुनवाई के बाद आयोग की ओर से आदेश पारित किया गया कि 30 दिन के अंदर दो लाख 10 हजार रुपये नौ प्रतिशत ब्याज की दर से 20 हजार रुपये आर्थिक, मानसिक शारीरिक क्षति के रूप में उन्हें दिया जाए।