#इंडिया गठबंधन: यूपी में सपा की दया पर निर्भर नहीं रहेगी कांग्रेस, बसपा का साथ भी ना मिला तो अकेले लड़ेगी चुनाव#

इंडिया एलायंस अब सीटों के बंटवारे के स्तर पर बातचीत शुरू कर चुका है। इस बातचीत में सबसे ज्यादा दिक्कतें यूपी में आने वाली हैं। यहां पर सपा कांग्रेस को पांच से सात सीटे देने के मूड में है। यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश में यह गठबंधन टूट सकता है और कांग्रेस अकेले ही चुनावों में जा सकती है
अखिलेश यादव ने बीते दिनों बयान दिया कि उनकी पार्टी इंडिया एलायंस से सीटें मांगेगी नहीं बल्कि उसे देगी। उनके इस बयान को कांग्रेस के साथ हो रही सीट शेयरिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के घोसी और बागेश्वर सीटों को चुनाव परिणाम को लेकर दिए गए बयान के बाद राज्य स्तर पर दोनों पार्टियों के बीच में एक मौन तल्खी बनी हुई है। हालांकि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप इस मामले में बिल्कुल खामोश है।

सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन तो चाहती है लेकिन वह कांग्रेस का राजनीतिक रसूख 2019 के लोकसभा चुनावों के अनुसार तय करना चाहती हैं। जहां कांग्रेस को एकलौती रायबरेली की सीट मिली थी। खुद राहुल अपनी सीट हार गए थे। कांग्रेस भी एलायंस चाहती है लेकिन उसके दिमाग में 2009 के लोकसभा चुनाव में जीती हुई सीटें हैं। जहां उसने अपने बूते 21 सीटें हालिस की थीं। कांग्रेस इस गठबंधन में 15 से 20 सीटें हासिल करना चाहती है। सारा पेंच यही पर है। दोनों पार्टियां सीट शेयरिंग के मुद्दे पर दो अलग-अलग पिचों पर हैं।
कैटेगरी के अनुसार कांग्रेस ने बांट रखी हैं सीटें
कांग्रेस ने तीन कैटेगरी में पूरे यूपी को बांट रखा है। उसने 30 सीटें ऐसी चुनी हैं जहां पार्टी पूरी ताकत के साथ लड़ना चाहती है। वह इसे ए कैटेगरी की सीटें मान रही है। बी कैटेगरी की सीटें वह सीटें जहां पार्टी ने बीते चुनावों में सम्मानजनक सीटें पायी थीं। इनकी भी संख्या 30 है। बाकी बची सीटें सी कैटेगरी की हैं। जहां पार्टी को बहुत उम्मीदें नहीं है। गठबंधन ना हो पाने की दशा में भी कांग्रेस साथी पार्टियों के लिए बीजेपी को हराने के लिए वहां डमी कैंडीटैड देगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि पार्टी अपनी पूरी ताकत ए और बी कैटेगरी की सीटों में लगा रही है। हम गठबंधन में शामिल होना चाहते हैं लेकिन प्रतिष्ठा से कम सीटें मिलने पर हमारा अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प खुला है। हमने जिन सीटों को ए कैटेगरी में रखा है वहां पर संगठन के स्तर पर चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। हम इन चुनावों में किसी की दया पर निर्भर नहीं हैं। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और यह लोकसभा का चुनाव है ना कि विधानसभा का।
सीटें ज्यादा हासिल करने की रणनीति भी
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस और सपा दोनों ही गठबंधन में ही चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस बीजेपी की सीटें यूपी में सीमित करने के लिए किसी भी तरह के समझौते को स्वीकार्य कर लेगी। कांग्रेस अकेले लड़कर वोटों के बिखराव होने का आरोप अपने सर नहीं मढ़ने देगी। नीतिश कुमार के साथ शुरुआती दौर में होने वाली बातचीत में राहुल गांधी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह बीजेपी के खिलाफ हर सीट पर संयुक्त विपक्ष का एक ही कैंडीडेट चाहते हैं। इसके लिए उनकी पार्टी बड़ा दिल दिखाने के लिए तैयार है। यूपी को लेकर हो रही बयानबाजी अधिक से अधिक सीटें पाने की कोशिशे हैं। सपा के नेता अपनी बातचीत में कांग्रेस को दो सीटों तक सीमित कर देते हैं तो कांग्रेस चालीस सीटों का दावा करने लगती है। हकीकत इन दोनों के बीच में कहीं है। दोनों पार्टियां इस बात की कोशिश आखिरी तक करेंगी कि वह इस गठबंधन में अधिक से अधिक सीटें हासिल कर लें।
बसपा का विकल्प खोलकर रखना चाहती है पार्टी
कांग्रेस यूपी को लेकर फिक्रमंद दिख रही है। वह अपनी सीटें प्रदेश में बढ़ाना चाहती है। उसने दो दरवाजें खोल रखे हैं। एक तरफ अखिलेश और जयंत चौधरी के साथ वह इंडिया गठबंधन में है दूसरी ओर पार्टी इस बात की भी कोशिश कर रही है बसपा को भी इस गठबंधन में शामिल हो जाएगा। यदि बसपा को दिक्कत सपा को लेकर है तो कांग्रेस बसपा के साथ एक एलायंस बना सकती है और सपा की मजबूत सीटों पर वह डमी कैंडीडेट उतार सकती है। बसपा के साथ यूपी प्रदेश कांग्रेस के स्तर पर नहीं राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार राहुल और प्रियंका दोनों ही बसपा के साथ एलायंस करने की कोशिशों में हैं। अंदरखाने की खबरें हैं कि प्रियंका गांधी इस संबंध में खुद मायावती से सीधी बात कर चुकी हैं। हालांकि कांग्रेस और बसपा की तरफ से इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मायावती यह बात लगातार दोहराती आई हैं कि बसपा इंडिया और एनडीए दोनों ही तरह के एलायंस से दूर रहेगी।
राज्यों के चुनाव परिणाम होंगे अहम
लोकसभा चुनाव के पहले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलांगाना में चुनाव होने हैं। कांग्रेस इन चारों राज्यों में सत्ता में लौटने का दावा कर रही है। वह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार में है। तेलंगाना और मध्य प्रदेश में विपक्ष में। कांग्रेस छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को लेकर बहुत सहज महसूस कर रही है। कांग्रेस के नेता इन दोनों राज्यों में हर हाल में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। बीते दिनों राहुल गांधी तेलांगना के दौर पर थे। हैदराबाद में राहुल गांधी की जनसभा में उमड़ी भीड़ ने सुर्खियां बटोरी थीं। कांग्रेस जनता की इस प्रतिक्रिया से उत्साहित है। राजस्थान कांग्रेस का अपेक्षाकृत कमजोर राज्य है लेकिन पूरी कोशिश कर रही है कि गुटबाजी को सीमित करके और लोकलुभावन योजनाओं के बूते वह फिर से सत्ता में लौट आए। गुटबाजी में बंटी राजस्थान बीजेपी भी उसे इन चुनावों में मदद कर सकती है। यदि कांग्रेस इन राज्यों में अपेक्षा के अनुरूप सीटें ले आती है तो निश्चित ही राज्यों के गठबंधन में सीटों को लेकर उसका दावा मजबूत होगा। जो कि यूपी में भी दिखेगा।