जिले में ग्रीष्मावकाश के बाद सोमवार को रिमझिम बारिश के बीच बेसिक शिक्षा के प्राइमरी और जूनियर स्कूल खुल गए। पहले ही दिन अधिकांश स्कूलों में बच्चे गायब रहे, जहां बच्चे पहुंचे भी वहां उनकी संख्या नाम मात्र ही रही। किसी कक्षा में दो बच्चे तो किसी में पांच बच्चे ही पहुंचे। जिले के किसी भी विद्यालय में 50 प्रतिशत भी बच्चों की उपस्थिति नहीं देखने को मिली। वहीं शिक्षक स्कूल पहुंच बच्चों का इंतजार करते रहे। ग्रीष्म कालीन अवकाश के बाद शासन के निर्देश पर सोमवार तीन जुलाई से प्राइमरी और जूनियर स्कूल खुल गए। अवकाश के बाद पहले दिन शिक्षक पहुंचे, लेकिन उन्हें भी देर तक बच्चों के आने का इंतजार करना पड़ा। स्थिति यह रही कि कहीं एक भी बच्चा नहीं पहुंचा तो कहीं कम संख्या में ही बच्चों का कलरव स्कूलों में फिर से गूंजा। शिक्षकों ने भी गांव में जाकर अभिभावकों को स्कूल खुलने की जानकारी के साथ बच्चों को भेजने के लिए संपर्क शुरू किया। पहला दिन था तो शिक्षकों ने साफ-सफाई और मिड-डे मील के लिए रसोई की तैयारी भी कराई। वैसे तो ग्रीष्मावकाश के समय बच्चों को स्कूल खोलने की जानकारी दी गई, लेकिन गर्मी के कारण शासन ने दो जुलाई तक छुट्टी कर दी थी। शासन ने तीन जुलाई को स्कूल खोलने का निर्देश दिया था। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूक अभिभावकों के प्रयास से बच्चे पहुंचे, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति न्यूनतम ही रही। बच्चों को घर से बुलाने के प्रयास किए गए। इस तरह ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूलों का पहला दिन कहीं रौनक भरा तो कहीं सन्नाटे जैसा रहा।