उत्तर प्रदेश में किस मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सबसे अच्छा हाईवे बनाया गया

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हवा में उड़ते सुखोई, मिराज जैसे फाइटर प्लेन नीचे आते हैं, जमीन छूते ही दोबारा उड़ जाते हैं और हवा में करतब दिखाते हैं. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का करवल खीरी गांव आज वायुसेना के इस एयरशो का गवाह बना.मौका था पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन का. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने योगी सरकार की जमकर तारीफ की और पहले की सरकार पर विकास कार्यों में अड़ंगा डालने का आरोप भी लगाया.

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प्रधानमंत्री ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को विकास, अर्थव्यवस्था, नए निर्माण और संकल्प की सिद्धि वाला एक्सप्रेस-वे बताया. उन्होंने कहा कि जिसे यूपी के सामर्थ्य पर संदेह हो, वो यहां आकर देख सकता है. 3-4 साल पहले जहां सिर्फ जमीन थी. अब वहां से होकर इतना आधुनिक एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है.

उत्तर प्रदेश में जब एक्सप्रेस-वे की बात होती है तो दो नाम आते हैं. यमुना एक्सप्रेस-वे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे. और इनके साथ नत्थी है उन मुख्यमंत्रियों का नाम जिनके कार्यकाल में इनका निर्माण हुआ. अब इस लिस्ट में तीसरा नाम पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और योगी आदित्यनाथ का शामिल हो गया है. सबसे पहले बात उस मुख्यमंत्री की जिसने सबसे पहले एक्सप्रेस-वे बनवाने का सामर्थ्य दिखाया.

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साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबे ताज एक्सप्रेस वे का प्रस्ताव दिया. फरवरी 2003 में इसका शिलान्यास भी हो गया. इसे बनाने का जिम्मा जेपी एसोसिएट लिमिटेड को दिया गया. लेकिन साल भर बाद ही सूबे की सरकार बदल गई और एक्सप्रेस वे का काम भी रुक गया. और ये काम दोबारा शुरू हुआ साल 2007 में.

जब मायावती ने दोबारा सत्ता में वापसी की. तब इसका नाम ताज एक्सप्रेस वे से बदलकर यमुना एक्सप्रेस वे कर दिया गया. यमुना एक्सप्रेस-वे ग्रेटर नोएडा,अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा जिले को जोड़ता है. बसपा सरकार ने इसे दिसंबर 2011 तक पूरा करने का टारगेट दिया था, लेकिन निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया.

2012 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने यमुना एक्सप्रेस वे का खूब जोर-शोर से प्रचार किया. लेकिन जनता ने इस बार बहमुत दिया समाजवादी पार्टी को. अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने और अगस्त 2012 में उन्होंने यमुना एक्सप्रेस वे का उद्घाटन कर दिया. करीब दस साल में बनकर तैयार हुए 6 लेन के इस एक्सप्रेस वे की लागत आई 12 हजार 839 करोड़ रुपए. जब प्रोजेक्ट शुरु हुआ था तब इसकी लागत करीब 3 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी. निर्माण कार्य पूरा होने के बाद जेपी को 38 साल तक टोल टैक्स वसूलने के अधिकार और नोएडा से आगरा के बीच एक्सप्रेस-वे के किनारे पांच स्थानों पर पांच-पांच हेक्टेयर जमीन दी गई.

ये तो हो गई दिल्ली से आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे की बात. 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आगरा को लखनऊ से जोड़ने की घोषणा की. 6 लेन के 302 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास नवंबर 2014 में हुआ. अखिलेश सरकार ने इस एक्सप्रेस-वे को करीब 2 साल में तैयार कर दिया. 21 नवंबर 2016 को इसका उद्घाटन हुआ और दिसंबर 2016 में इसे जनता के लिए पूरी तरह से खोल दिया गया. इसके निर्माण में कुल 13 हजार 2 सौ करोड़ रुपए की लागत आई.

उद्घाटन कार्यक्रम में वायुसेना के मिराज-2000 और सुखोई लड़ाकू विमान एक्सप्रेस-वे पर उतारे गए. इसके लिए बांगरमऊ में बाकायदा एयरस्ट्रिप बनाई गई थी. यह अपने आप में पहला मामला था जब किसी एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमानों के इमरजेंसी लैंडिंग के लिए एयर स्ट्रिप बनाया गया हो. हालांकि इससे पहले मई 2015 में यमुना एक्सप्रेस-वे पर भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमान मिराज-2000 सफलतापूर्वक उतार चुकी थी. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे ने दिल्ली से लखनऊ को सीधा कनेक्ट कर दिया. ये उत्तर प्रदेश के 10 जिलों आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैय्या, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव, लखनऊ से होकर गुजरता है.

2017 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने नारा दिया, ‘काम बोलता है.’ और इसमें जिस काम में जिस पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया वो था आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे. एक्सप्रेस-वे पर उतरते फाइटर प्लेन्स की तस्वीरें वीडियोज खूब शेयर किए गए. लेकिन जनता ने अपने जनादेश में अखिलेश को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2017 में उन्होंने भी पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनाने का ऐलान कर दिया. 14 जुलाई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था. 341 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे को 3 साल में पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया था. अब करीब 40 महीने बाद इसका उद्घाटन हो रहा है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लखनऊ से बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, मऊ होते हुए गाजीपुर को जोड़ता है.

इसे बनाने में 22 हजार 500 करोड़ रुपए का खर्च आया है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे शुरू होने के बाद गाजीपुर से दिल्ली पहुंचने में 10 घंटे और लखनऊ पहुंचने में 4 घंटे का समय लगेगा. जबकि पहले लखनऊ से गाजीपुर पहुंचने में ही 10 घंटे लग जाते थे. ये राज्य के आखिरी छोर को दिल्ली और लखनऊ से जोड़ता है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की तरह इस पर भी लड़ाकू विमान उतारे जा सकते हैं. इसके लिए सुल्तानपुर में 3.2 किलोमीटर लंबी एयरस्ट्रिप बनाई गई है. जरूरत पड़ने पर वायुसेना इसका इस्तेमाल लैंडिंग और टेक-ऑफ के लिए कर सकती है.

आज पूर्वांचल एक्स्प्रेस वे का उद्घाटन हुआ तो विपक्ष की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आईं. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे अपना प्रोजेक्ट बताते हुए बीजेपी पर क्रेडिट लेने का आरोप लगाया. 2018 में जब पीएम मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था तभी समाजवादी पार्टी ने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि 22 दिसंबर 2016 को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास हुआ था. लेकिन योगी सरकार ने न सिर्फ इस प्रोजेक्ट को लटकाया बल्कि एक बार टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद टेक्निकल बिड के नाम पर इसे निरस्त कर दिया.

अब जब इसका उद्घाटन हो रहा है तो फिर से अखिलेश यादव ने इन आरोपों को दोहराया है. अखिलेश ने कहा कि समाजवादी एक्सप्रेस-वे का नाम बदलकर इसका उद्घाटन कर दिया गया है.

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भले ही तैयार हो गया हो लेकिन अभी इस पर बुनियादी सुविधाओं जैसे-पेट्रोल पंप, शौचालय, रेस्टोरेंट-ढाबा आदि की कोई व्यवस्था नहीं है. इसे तैयार होने में अभी दो-तीन महीने का समय लग सकता है. हालांकि शुरुआत में कुछ महीनों तक इसी तरह की शिकायतें आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर भी आईं थीं.

उद्घाटन के बाद अब चलते हैं उन एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट्स की ओर जिन पर ‘कार्य प्रगति पर है’ का बोर्ड टंगा हुआ है.

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे

पूर्वांचल के बाद बुंदेलखंड को भी राजधानी लखनऊ से जोड़ने के लिए योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनवा रही है. फरवरी 2020 में पीएम मोदी ने 296 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी थी. जिसका उद्घाटन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किए जाने का प्लान है. बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे चित्रकूट से शुरू होकर बांदा, हमीरपुर, महोबा, औरैया, जालौन से होते हुए इटावा में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़ जाएगा. इसमें 15 हजार करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है.

गंगा एक्सप्रेस-वे

गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए मेरठ से प्रयागराज को सीधा जोड़ने का प्लान है. गंगा एक्सप्रेस-वे की प्रस्तावित लंबाई 594 किलोमीटर है. जो यूपी के 12 जिलों मेरठ से शुरू होकर हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होते हुए प्रयागराज तक जाएगी. इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद लखनऊ से मेरठ की दूरी 5 घंटे की हो जाएगी. जबकि प्रयागराज तक की दूरी 7 घंटे में तय की जा सकेगी. गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा है. माना जा रहा है कि दिसंबर में प्रधानमंत्री इसका शिलान्यास करेंगे.

अब आते हैं इस सवाल पर एक्सप्रेसवे की हमें जरूरत क्यों है.

आम लोगों के जीवन में एक्सप्रेसवे कैसे तरक्की लाएगा? कई लोग कहते हैं कि भाईसाहब एक्सप्रेस पर टोल ही इतना ज्यादा होता है कि आम आदमी की तो जेब ही कटती है. या फिर फायदा स्थानीयों से ज्यादा बाहर वालों को होता है. तो एक्सप्रेसवे का फायदा समझने के लिए, हम पहले घाटे को समझते हैं. अच्छी सड़कें ना होने के क्या नुकसान हैं?

2016 में IIM कोलकाता और ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने मिलकर एक अध्ययन किया था. और पाया कि देश में खराब सड़कों की वजह से हर साल 1500 अरब रुपये का नुकसान होता है. 1000 अरब रुपये तो पेट्रोल-डीज़ल ही ज्यादा जलाना पड़ता है. मानी अगर हमारी सड़कें अच्छी हों, ईंधन की खपत घटेगी. देश में लगभग 90 फीसदी लोगों को आवाजाही के लिए सड़कों की ही जरूरत पड़ती है.

सामान की ढुलाई में भी 64 फीसदी हिस्सेदारी सड़कों की है. इसलिए हमें अच्छी सड़कों की जरूरत है, और ये हर आदमी के काम आती है. हमारे पड़ोसी चीन ने 1984 में ही एक्सप्रेसवे बनाना शुरू कर दिया था. इसका असर चीन की आर्थिक तरक्की पर भी दिखा. और अब तो चीन को सड़कें बनाने का ऐसा चस्का लगा है कि अपने देश से बाहर भी सड़कें बनाने में लगे हैं, मानी बेल्ट एंड रोड इंशिएटिव.

तो हमने इस पर देर से ध्यान दिया. अब यूपी समेत देश के और भी राज्यों में एक्स्प्रेसवे पर काम हो रहा है. इनमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है दिल्ली – मुंबई एक्सप्रेस वे.

अब एक एक्प्रेसवे के साथ तरक्की कैसे जुड़ती है, इसकी मिसाल के तौर पर हमारे सामने यमुना एक्स्प्रेसवे है. यमुना एक्सप्रेसवे बनने के बाद से इसके दोनों तरफ हाइवे वाली अर्थव्यवस्था पनपती चली गई है. खासकर गौतमबुद्धनगर में तो कायापलट होते साफ दिख रहा है. जेवर एयरपोर्ट बन रहा है, फिल्म सिटी बन रही है. एयरपोर्ट के नजदीक 250 एकड़ में इलेक्ट्रॉनिक सिटी बन रही है. कई बड़ी कंपनियों के प्लांट लग रहे हैं. और इस तरह के निवेश को समझना मुश्किल भी नहीं है, कनेक्टिविटी बेहतर होगी तो निवेश आएगा.

तो जाहिर है एक एक्प्रेसवे का तरक्की से सीधा संबंद दिखता है. हालांकि ये भी सही बात है कि टोल भी खूब वसूला जाता है. आगरा से लखनऊ वाले एक्स्प्रेसवे पर रोज़ाना टोल की कमाई 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है.