प्रदेश की जेलों में अब बंदियों के पास मोबाइल मिलने पर होगी पांच साल तक की सजा, लगेंगे पचास हजार रुपये जुर्माना

– कारागार में अपराधिक गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाने के लिए अब सूबे में किये गए पुख्ता इंतजाम
– जेल मैन्युअल में बदलाव कर घोषित किया गया संज्ञेय अपराध

आजमगढ़ । कारागारों से अपराधिक गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाने का अब सूबे में पुख्ता इंतजाम कर लिया गया है। इसी लिए जेल मैन्युअल में बदलाव कर बंदियों के मोबाइल संचालन व रखने को संज्ञेय अपराध मानकर पांच साल तक की सजा और पचास हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश की जेलों के लिए वर्ष 1894 में जेल मैन्युअल लागू किया गया था। उसी में वर्णित कानून के तहत कारागार की प्रशासन व्यवस्था अब तक चलती रही। इसमें अवांछनीय वस्तुओं के परिसर में ले जाने व इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध का नियम था। मोबाइल को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं था, जबकि जेलों से मोबाइल के जरिए वसूली अपहरण व गंभीर अपराधों की साजिश का खुलासा होता रहा है। यहां के जिला जेल से भी फोन के जरिए हत्या व जानलेवा हमले से संबंधित कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

कुछ वर्ष पूर्व मोबाइल इस्तेमाल को लेकर जेल में ऐसा बवाल हुआ था। जेलों में जैमर लगाए जाने के बाद भी मोबाइल फोन के इस्तेमाल की शिकायत मिल रही थी। राजनीतिज्ञों व माफियाओं के निरुद्ध होने पर यह और भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में 136 साल पुराने जेल मैन्युअल में नई धाराएं जोड़ दी गई हैं। बंदियों के पास मोबाइल मिलने व इस्तेमाल पर एफआईआर दर्ज कराया जाएगा जिसमे तीन से पांच साल तक के सजा और 20 से पचास हजार रुपये जुर्माना भी होगा।

हो रही सघन तलाशी, किया जा रहा प्रचार

जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में आने जाने वालों की सघन तलाशी ली जाती है। समय समय पर बैरक व अन्य स्थानों को भी चेक किया जाता है। बंदियों को नए कानून के बारे में बताया जा रहा है। फिर भी कोई मोबाइल चलाते मिला तो मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।