आजमगढ़। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री आवास योजना शहरी व ग्रामीण के अंतर्गत जरूरतमंदों को छत मुहैया कराने लिए धनराशि आवंटित की जा रही है। इससे काफी संख्या में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोग लाभांवित हुए हैं।लेकिन 18.90 करोड़ से बने 700 कांशीराम आवास का आवंटन 19 साल बाद भी नहीं हो सका। इतने वर्षों से इन आवासों का आवंटन मात्र बिजली, पानी व जलनिकासी की व्यवस्था न होने से रुका है। एक तरह से अधिकारी भी अब भूल से गए हैं। कई वर्ष से कार्यदायी संस्था शासन तक लिखा-पढ़ी कर रही है लेकिन अभी तक धनराशि आवंटित नहीं की गई।
तत्कालीन बसपा सरकार ने वर्ष 2011-12 में कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना को मंजूरी दी थी। जिसके तहत नगर पालिका मुबारकपुर क्षेत्र के गजहड़ा में 460 और नगर पंचायत मेंहनगर के देवरिया में 240 सहित कुल 700 आवास बनाने लिए 18.90 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस कार्य के लिए 75 फीसद बजट भी अवमुक्त कर दिया था। कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद ने निर्माण शुरू करा दिया। इसी बीच सरकार बदल गई। 18 करोड़, 90 लाख रुपये की इस परियोजना में शेष 90 लाख रुपये सरप्लस होने बाद निदेशालय के आदेश पर कार्यदायी संस्था को वापस करना पड़ा था। जबकि 18 करोड़ रुपये में कार्यदायी संस्था द्वारा दोनों स्थानों पर आवास निर्माण के सभी आंतरिक कार्य तो करा दिए गए लेकिन बाह्य कार्य में पानी की टंकी, जलनिकासी के लिए ड्रेनेज और बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो सकी।
तब जीएसटी का फंसा था पेच : आला अधिकारियों की सख्ती के बाद जल निगम और बिजली विभाग ने शेष धन के लिए आगणन बनाकर आवास विकास परिषद लखनऊ को भेजा था लेकिन पहली जुलाई से लागू जीएसटी को विभाग ने शामिल नहीं किया था। नतीजा नया आगणन बनाकर भेजने को निर्देशित किया। बिजली विभाग ने लगभग 30 लाख रुपये का नया आगणन कार्यदायी संस्था को प्रस्तुत किया, जिसे आवास विकास परिषद के लखनऊ मुख्यालय स्थित बिजली वृत्त में परीक्षण के लिए भेजा गया है। लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली।
बोले अधिकारी : ‘दोनों स्थानों पर बाह्य कार्य बिजली, पानी और जलनिकासी की व्यवस्था जल निगम और बिजली विभाग को करनी है। जीएसटी के अनुसार बिजली विभाग ने नया आगणन दिया था, जिसे निदेशालय को स्वीकृति के लिए भेज दिया गया था। संस्था के बिजली वृत्त के परीक्षण के बाद स्वीकृति प्रदान करने जानकारी दी गई थी। -महेंद्र कुमार, अधिशासी अभियंता कार्यदायी संस्था, आवास विकास परिषद।