आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विभिन्न मुद्दों को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल बीएचयू रजिस्टार से मिला जिसमें वैभव कुमार त्रिपाठी, राजेश तिवारी एवं एडवोकेट आदेश कुमार आदि शामिल रहे। मुख्यतः तीन मांगों को लेकर चर्चा हुई एवं तत्काल कार्यवाही की मांग की गई-
1- यह जानकर वाकई हैरानी होती है कि बीएचयू प्रशासन ने स्वर्ण पदक, (किसी महान व्यक्ति के नाम पर) देने की अक्षयनिधि की लागत 50,000/रुपये से बढ़ाकर 10,0,000 रुपये कर दी है। मैं व्यक्तिगत तौर पर इस फैसले का विरोध करता हूँ इस बावत मांग की गई कि इसे पूर्ववत किया जाये
2- बीएचयू के सभी सभागारों का किराया अब 30,000 प्रतिदिन से अधिक है, जबकि इसे शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए यह निःशुल्क होना चाहिए तत्काल इनका शुल्क घटाया जाये
3- विश्वविद्यालय में बढ़ती पुलिसिया कार्यवाही को देखते हुये आपत्ति दर्ज कराई गई एवं वैभव त्रिपाठी द्वारा कहा गया कि यदि पुलिस ही सुरक्षा व्यवस्था देख रही है तो प्रॉक्टोरियल बोर्ड को बंद कर देना चाहिए ताकि बीएचयू को हर साल लगभग 40 करोड़ रुपये की बचत हो सके।