जखनिया। संपूर्ण हिंदुस्तान में 135 करोड़ से अधिक लोग अलग अलग मजहब से हैं। सिद्धपीठ के शैव संप्रदाय के जूना अखाड़ा के आचार्य शंकराचार्य की परंपरा यहां की सनातन वैदिक परंपरा है। उसी शक्ति के पुंज को बनाए रखने के लिए सिद्धपीठ में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जा रहा है। उक्त बातें सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महंत श्री भवानीनंदन यति महाराज ने सिद्धपीठ पर उमड़े श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहाकि जो अपने गुरु की पूजा चरण वंदन करता है, उसका जीवन धन्य है।
कथा श्रवण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्रीयति जी महाराज ने कहाकि सबसे पहली भक्ति श्रवण है। आत्मा को शान्ति करने के लिए भगवान ने भक्ति दिया है। जिसे सुन लिया तो दूसरी भक्ति स्वंय चली आएगी। मन को स्थिर करना है तो सुनने की क्षमता रखें। गुरुजनों के उपदेश को सुनने मानने के लिए ही यह गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। सिद्धपीठ की गुरु जन मुक्ति की भक्ति करते रहे जो इस सिद्धपीठ के कण-कण में विद्यमान हैं। परमात्मा और परमात्मा का छोटा अंश आत्मा है, जो हम धर्म तीर्थ करते हैं। तमाम हमारे धर्म में तमान विज्ञान हैं, इसी विज्ञान को जानने के लिए गुरुजनों की शरण में जाना होता है। जीवन में गुरु नहीं तो मोक्ष नहीं प्राप्त हो सकता है। गृहस्थ जीवन में शरीर का धर्म है कि हम अपना कर्म करते रहे।जबकि जन्म का धर्म केवल मोक्ष है। जन्म और जीवन मुक्ति पाने के लिए मिला है फिर भी आप अपने हर क्षण जीवन को बेकार कर रहे हैं। मैं 26 वर्ष से गद्दी पर आकर मैं भी यही देख रहा हूं। मेरे पूजा की शक्ति गुरु की भक्ति मुझे बचाती है। मैं तो एक पुजारी के रूप में निष्ठा से कार्य कर रहा हूं। आज गुरु शिष्य की परंपरा है, वह भगवत भक्ति है। गुरु बड़े भाग्य से मिलता है भगवान किसी के ऊपर रूठ भी जाए तो कोई फिक्र नहीं करना चाहिए, याद रखना आपको गुरु जी प्रसन्न हो तो भगवान रूठ जाए तो गुरु मिल जाएंगे। लेकिन अगर गुरु रूठ जाए तो भगवान नहीं मिल सकते।
उन्होंने कहाकि कर्मों का भोग अवश्य मिलता है।आज बुढ़िया माई 800 वर्षों से यहां पर विराजमान है। यहां की मिट्टी चंदन से कम नहीं है, यह सिद्धपीठ साधारण पीठ नहीं है। यहा देश राष्ट्र के लिए मां भी हमेशा सुनती हैं। वह परमात्मा हमारे अंदर आत्मा के रूप में बैठा है, भक्ति का पालन करिए। यहां शिव मंत्र दिया जाता है इसे श्रद्धा के साथ अपने पास रखिए। मंत्र में बहुत बड़ी शक्ति है जिससे सब कुछ मिलना संभव है।गुरुजनो द्वारा दी गयी मंत्र को मन में छुपा कर रखिएगा। शिवजी ने पार्वती से कहा कि इन विज्ञान को छिपाकर गुरुजनों के चरण में ध्यान रखकर मंत्र से भगवान को साक्षी मानकर भगवान को याद रखिए।गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों के चिंतन मनन करने से सब कुछ संभव है।
इस दौरान पवाहारी महामंडलेश्वर महंथ श्री भवानीनंदन यती महाराज ने अपने ब्रह्मलीन गुरु बालकृष्ण यती महाराज के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर फूल माला दीप धूप जल फल फूल से पूजन अर्चन किया। वहीं देश के कोने कोने से उमड़े शिष्यों ने अपने गुरु की आरती के साथ कार्यक्रम की शुरुआत किया।
इस अवसर पर डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, जंगीपुर विधायक वीरेंद्र यादव, देवराहा बाबा, संत अभयानंद, डॉक्टर विजय नारायण राय, भाजपा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, मंगला सिंह, विपिन पांडेय, संतोष यादव,अमिता दुबे, वरुण सिंह, लौटू प्रजापति ,सुषमा राय, केडी सिंह जिला पंचायत रमेश यादव, सुरेंद्र जी, कार्तिक गुप्ता सहित मऊ, बलिया, वाराणसी, बक्सर, ग्वालियर महाराष्ट्र से काफी संख्या में शिष्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इसी कड़ी में सिद्धपीठ भुडकुडा मठ में भी मंहंथ श्री शत्रुघ्न दास ने समाधि पूजन दर्शन कर प्रेम परोपकार सत्य का रास्ता अपनाने के लिए शिष्यों को बताया, जहां पर काफी दूर दूर के शिष्यो की भीड़ रही।