मुम्बई से रणजी ट्रॉफी में धमाल मचाने वाले क्रिकेटर सरफराज का जोरदार स्वागत का पैतृक गांव में जोरदार स्वागत, बताया आजमगढ़ की शान
आजमगढ़ (सगड़ी): रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता में धमाल मचाने वाले आजमगढ़ के क्रिकेटर सरफराज खान का शुक्रवार को पैतृक गांव पहुंचने पर क्षेत्र के लोगों ने जोरदार स्वागत किया। बचपन से ही क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने वाले सरफराज के गांव पहुंचते ही युवा उसे अपने बीच पाकर खासरूप से उत्साहित दिखे। सगड़ी तहसील के बासुपार बनकट के मूलनिवासी नौशाद खान अपनी ससुराल छतरपुर में मकान बनाकर रहते हैं। गांव से निकल कर मुंबई पहुंचे नौशाद खान ने क्रिकेट को अपना कैरियर बनाया और क्रिकेट क्लब बनाकर बच्चों को ट्रेनिंग देनी शुरू की। नौशाद ने अपने बड़े बेटे सरफराज को रिजवी स्प्रिंग फील्ड कॉलेज मुंबई में एडमिशन कराया। इसी विद्यालय परिसर से ही सरफराज ने क्रिकेट की दुनिया में आंख खोली और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का स्कूली क्रिकेट का रिकार्ड तोड़ते हुए वर्ष 2009 में एक पाली में 439 रन बनाकर तोड़ दिया था। तभी से सरफराज चर्चा में आये। उसे आईपीएल खेलों में भाग लेने का मौका मिला। सरफराज 4 साल तक आरसीबी और 3 साल पंजाब टीम तथा पिछले वर्ष से दिल्ली के लिए खेल रहे हैं। सरफराज रणजी ट्रॉफी इतिहास में तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने दो अलग-अलग सीजन में 900 से ज्यादा रन बनाएं। इसमें प्रथम स्थान पर दिल्ली के अजय शर्मा और दूसरे स्थान पर वसीम जाफर का नाम आता है। वर्तमान समय में रणजी ट्राफी में सरफराज ने जबरदस्त धमाल किया है।
शुक्रवार को सरफराज अपने भाई मुशीर के साथ अपने आवास छतरपुर खुशहाल पहुंचे जहां लोगों ने गर्मजोशी के साथ माल्यार्पण कर उसका स्वागत किया। आजमगढ़ विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष एसके सत्येन ने सरफराज का स्वागत करते हुए कहा कि सरफराज ने आजमगढ़ का ही नहीं बल्कि प्रदेश का नाम रोशन किया है। जनपद के युवाओं को सरफराज से सीख लेने की जरूरत है। अपने स्वागत से अभिभूत सरफराज ने कहा कि जो भी युवा खेल क्षेत्र से जुड़े हैं। उन्हें लगातार प्रयास करना चाहिए। कुछ लोग एक हफ्ते अभ्यास कर दो हफ्ते रेस्ट लेते हैं। ऐसी सफलता नहीं मिलती। सरफराज ने कहा कि मैं इंडिया की टीम में खेल कर क्षेत्र का नाम रोशन करना चाहता हूं।सरफराज के पिता नौशाद खान ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी का कोई न कोई मकसद बनाना चाहिए और मुकाम पर पहुंच कर के ही रुकना चाहिए। जो लोग बीच में ही रुक जाते हैं, उन्हें कतई सफलता नहीं मिल सकती। स्वागत समारोह में वहाब खान, अजमल खान, मुशीर खान, मास्टर एहसान, एहसान प्रधान, फैयाज खान, रहमतुल्ला, सलमान घोसवी आदि लोग उपस्थित रहे।