निज़ामाबाद आज़मगढ़। निज़ामाबाद कस्बे सहित आस-पास के क्षेत्रों में भी जिउतिया का त्यौहार काफी धूमधाम गाजे बाजे के साथ मनाया गया।निज़ामाबाद में हर बार शिवाला घाट पर जिउतिया का गोठ बनता था मगर अबकी बार बाढ़ का पानी भरने के कारण जनता इंटर कालेज ,प्राइमरी पाठशाला, सरस्वती स्कूल में जिउतिया का गोठ बनाकर माताओं ने अपने पुत्रों के दीर्घायु और निरोगी काया के लिए रखा जिउतिया का कठिन ब्रत।इसमें महिलाओं ने शाम होते ही सामूहिक रूप से सजधज कर इकट्ठे होकर गोठ बनाकर भगवान जीमूतवाहन की विधिविधान से पूजा की और उनकी कथा को सुना और अपने पुत्रों के लंबी आयु की कामना करते हुए अपने और अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की।पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के आधार पर माताओं द्वारा किया जाने वाला प्रमुख व्रत जीवित्पुत्रिका या जिउतिया व्रत बुद्धवार को मनाया गया।यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उदया अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।इस व्रत में माताएं संतान की लंबी आयु,आरोग्यता,बल,बुद्धि,सुख-समृद्धि ,यश,ख्याति एवं कष्टों से रक्षा की कामना करती है।यह कठिन व्रतों में से एक है।इस व्रत में पानी और अन्न का त्याग किया जाता है।इसलिए यह निर्जला व्रत कहलाता है।जीवित्पुत्रिका व्रत से कई कथाएं जुड़ी हैं जिसमे से एक कथा महाभारत से जुड़ी हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार अश्वस्थामा ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए पांडवों की पुत्रबधू उत्तरा की गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया।उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया।गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर फिर से जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया।