#आरती यादव ने नीट की परीक्षा 2024 में कुल 678/720 यानी 94.16 प्रतिशत अंक प्राप्त करके ऑल इंडिया स्तर पर 9851वीं रैंक हासिल किया#

आजमगढ़। सरायमीर क्षेत्र के सोनवारा गांव निवासी माज़ ईसा ज़हबी इस्लाही ने नीट की परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर शिक्षकों व क्षेत्रवासियों ने बधाई दी। नेशनल इलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट(नीट) परीक्षा का परिणाम मंगलवार को घोषित हुआ। जिसमें सोनवारा गांव के ईसा जेवेलर्स के पुत्र माज़ ईसा ज़हबी ने ऑल इंडिया में 665 वा स्थान प्राप्त किया। प्रारंभिक शिक्षा सरायमीर के मदरसतुल इस्लाह मदरसे से हासिल करने के बाद पहली बार इस परीक्षा में भाग लिया था। नीट में उत्तीर्ण होने पर उनके स्कूल के शिक्षकों के साथ रिश्तेदारों ने उन्हें भविष्य में उज्जवल होने की कामना करते हुए बधाई दी है। बधाई देने वालों में मुख्य रूप से डाक्टर वाहिद, डाक्टर सालिम, डाक्टर नेदा, वसीम अहमद, बेलाल, उर्वा आदि लोग रहे। वहीं ग्रामीण पृष्ठभूमि की आरती यादव ने नीट की परीक्षा 2024 में कुल 678/720 यानी 94.16 प्रतिशत अंक प्राप्त करके ऑल इंडिया स्तर पर 9851वीं रैंक हासिल किया है। आरती ने सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। बताते चलें कि आरती यादव ने विगत दिनों सीबीएसई बोर्ड की इण्टरमीडिएट की परीक्षा में 94.4 प्रतिशत अंक पाकर यह साबित कर दिया था कि मंजिले उनको ही मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। ज़िले के जहानागंज थानान्तर्गत ग्राम खुदवल निवासी आरती यादव के पिता अनिल कुमार यादव वर्तमान में जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स में जूनियर इंजीनियर के पद पर जिला बारामुला जम्मू कश्मीर में कार्यरत हैं। ग्रामीण परिवेश से निकलकर आरती सर्वाेदय सीनियर सेकेंडरी स्कूल कोटा राजस्थान में पढ़ने के साथ-साथ नीट की तैयारी कर रही थी। उसकी इस उपलब्धि से पूरे क्षेत्र में अपार खुशी व्याप्त है। अनिल कुमार यादव के शुभचिंतकों एवं परिजनों ने बिटिया के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी है। पिता अनिल कुमार ने बताया कि बिटिया का सपना एक अच्छा डॉक्टर बनकर अपने गांव और क्षेत्र का नाम रोशन करना और गरीबों व जरूरतमंद लोगों की सहायता करना है। पूरे क्षेत्र में आरती के सफ़लता की चर्चा हो रही है। क्योंकि आजमगढ़ के ग्रामीण अंचल की छात्रा आरती यादव ने इस उक्ति को अपनी मेहनत से चरितार्थ किया है कि असफ़लता यह सिद्ध करती है कि सफ़लता के लिए पूरे मन से मेहनत नहीं की गई।