अगर आप भी शराब की लत से परेशान हैं और यह चाहकर भी नहीं छूट रही तो केजीएमयू आइये। यहां विशेष डिवाइस के माध्यम से बिजली का करंट देकर इस लत को छुड़वाया जा रहा है। ट्रांसक्रानियल डायरेक्ट करंट स्टिमुलेशन तकनीक से मानसिक रोग विभाग में अब तक 17 मरीजों की शराब छुड़वाई जा चुकी है। इंडियन जर्नल ऑफ सायकोलॉजिकल मेडिसिन ने इसे मान्यता देते हुए प्रकाशित किया है।
मानसिक रोग विभाग के प्रो. अमित आर्या ने बताया कि परंपरागत रूप से इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी में मरीज को बेहोश कर बिजली का करंट दिया जाता है। पहले बिना बेहोश किए ऐसा किया जाता था लेकिन अब इस पर रोक लग गई है। नई तकनीक में मरीज को बेहोश नहीं किया जाता है। उसे बिठाकर सिर के कुछ विशेष हिस्सों में खास उपकरणों से करंट दिया जाता है। मरीज को टिक-टिक की आवाज सुनने के अलावा कुछ महसूस नहीं होता।नई तकनीक का प्रभाव जानने के लिए शराब की गंभीर लत वाले 34 मरीजों को दो समूह में बांटा गया। इनके सिर पर उपकरण लगाए गए। हालांकि, पहले समूह के मरीजों को ही करंट दिया गया। इसकी तीव्रता दो मिली एंपीयर थी। एक सप्ताह में 20-20 मिनट के पांच सत्र के बाद आकलन किया गया। इसमें पाया गया कि नई तकनीक से करंट पाने वाले सभी मरीजों में शराब की लत पूरी तरह से छूट गई। करंट दिए जाने का दुष्प्रभाव भी नहीं दिखा।
ऐसे काम करती है तकनीक
डॉ. अमित आर्या के मुताबिक हमारा दिमाग इलेक्ट्रिक ऑर्गन है। यह इलेक्ट्रिक सिग्नल पास करता है। इन सिग्नल में कुछ समस्या होने पर किसी चीज की लत लगना, तनाव, अवसाद जैसी समस्याएं होती हैं। दिमाग के कुछ विशेष हिस्सों में बिजली का करंट देकर इन इलेक्ट्रिक सिग्नल को पहले की अवस्था में लाया जाता है। इससे मरीज सामान्य अवस्था में आ जाता है तथा उसकी शराब की लत छूट जाती है।
अध्ययन में ये रहे शामिल
डॉ. अरुंधती गैरोला, डॉ. अनिल निश्चल, डॉ. सुजीत कुमार कर, डॉ. अमित आर्या, डॉ. अमित सिंह।
– इंडियन जर्नल ऑफ सायकोलॉजिकल मेडिसिन ने मान्यता देते हुए किया प्रकाशित।
नई तकनीक की खासियत
– मरीज को बेहोश नहीं करना पड़ता
– शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।