#सरकार के साथ-साथ समाज के संपन्न लोगों को बढ़ती ढंड में गरीबों की मदद के लिए चाहिए आगे आना..!!#

बेघर और गरीब लोगों की जिंदगी देख कर ऐसा लगता है कि देश में ऐसे लाखों लोग रहते हैं जिनकी जिंदगी जानवरों से भी गई गुजरी है!न सिर छिपाने के लिए कोई झोपड़ी न खाने के लिए भोजन और न पहनने के लिए कपड़ा न ढंड से बचने के लिए गर्म कपड़े व भुखमरी और बीमारियों से हजारों लोग मर जाते हैं!देश में इस तरह की तमाम जगहें हैं जहां लोगों को सिर छिपाने के लिए ऐसा घर नहीं है जहां व ओस,कोहरे और विकट ठंड में खुद को सुरक्षित कर सकें!लेकिन कहते है कि समय के अनुसार ऋतुओं में परिवर्तन प्रकृति नियम है! निश्चित अवधि के बाद मौसम का बदल स्वागतयोग्य होता है! देश में सर्दी का मौसम अप पूरे रंग में नजर आ रहा है और चारों ओर शीतलहर प्रकोप है! लोग सूर्य के दर्शन के लिए लालायित रहते हैं लेकिन कोहरे ने सूर्य को ढक दिया है!चारों और कोहरे का साम्राज्य है! सर्दी का मौसम बुजुर्गों गरीबों के लिए विशेष कष्टदायक होती है! इनके लिए सरकार को विशेष इंतजाम करने चाहिए बढ़ती ढंड की वजह से स्कूल बंद किये हुए है!सड़कों और बाजारों में सन्नाटा पसरा है दिहाड़ी मजदूरों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है!सरकार की ओर से कुछ स्थानों पर अलाव व्यवस्था एवं कंबल वितरण किया गया है.लेकि बढ़ती ठंडक के आगे सरकारी सहायता ऊंट के मुँह में जीरा के समान साबित हो रही है! सरकार साथ-साथ समाज के संपन्न लोगों को गरीबों मदद के लिए आगे आना चाहिए!