वाराणसी। अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम के निमित्त काशी के कर्मकांडी विद्वानों और ज्योतिषियों को प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान की जिम्मेदारी मिली है. वहीं यहां के हस्तशिल्पियों ने यज्ञ पात्र भी तैयार करके अयोध्या भेज दिए हैं. व्हाइट मेटल जिसे जर्मन सिल्वर भी कहते हैं, उससे सहस्त्रछिद्र जलाभिषेक घड़ा को भी तैयार कर लिया गया है.
इसी घड़े से प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला का जलाभिषेक होगा. 1008 छिद्रों वाले घड़े को हुनरमंद कारीगरों ने हफ्तों की मेहनत से तैयार किया है. इसके अलावा 121 पुजारियों के लिए 125 सेट पूजन पात्र भी तैयार हो चुके हैं. प्रत्येक सेट के लिए कमंडल या लुटिया, आचमनी, तष्टा यानी छोटी तश्तरी को भी तैयार करके फिनिशिंग की जा रही है. वाराणसी का काशीपुरा धातु के हस्तशिल्पियों के लिए प्रसिद्ध है. व्हाइट मेटल आर्टिस्ट लालू कशेरा भी इसी इलाके के हैं. वह अपनी पांचवी पीढ़ी में इस परंपरा को आगे बढ़ा रहें हैं.
सहस्त्रछिद्र जलाभिषेक घड़े में 1008 छिद्र हैं
लालू कशेरा को वह घड़ा बनाने की जिम्मेदारी मिली थी जिससे रामलला का जलाभिषेक होगा. सहस्त्रछिद्र जलाभिषेक घड़े में 1008 छिद्र हैं. इससे निकलने वाली 1008 जल धाराएं रामलला को स्नान कराएंगी. उन्होंने अभिषेक के लिए एक श्रृंगी भी तैयार किया है. लालू कशेरा ने बताया कि व्हाइट मेटल तराशकर घड़े को बनाया गया है. इसमें मशीन के जरिए 1008 छिद्र किए गए हैं. यह घड़ा रामलला के जलाभिषेक के लिए सिर्फ एक पीस ही तैयार हुआ है.
गुरु लक्ष्मीकांत ने तैयार कराया है विशेष घड़ा
उन्होंने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले कर्मकांडी विद्वान गुरु लक्ष्मीकांत दीक्षित के कहने पर उन्होंने यह घड़ा तैयार किया है. उन्होंने आगे बताया कि पूरा घड़ा हाथ से तैयार होता है और फिर भट्टी में इसे तपाया जाता है. घड़े पर पॉलिश बाहर से कराना पड़ता है. जलाभिषेक के दौरान घड़े में पानी का लगातार प्रवाह रहेगा. उन्होंने बताया एक श्रृंगी भी तैयार किया गया है, जिसका उपयोग रुद्राभिषेक के वक्त होता है. लालू ने बताया कि इस पूरे ऑर्डर की पूर्ति 10 जनवरी तक हो जाएगी। साभार