#अधिवक्ताओं के आए दिन के प्रस्ताव और न्यायिक कार्य से विरत रहने के कारण त्रस्त है हजारों वादकारी#

पिछले 03 माह में केवल 02 दिन चली है नायब तहसीलदार की कोर्ट ,
न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता ही बन चुके हैं न्याय के भक्षक,
यहां योगी जी के आदेश का अधिवक्ताओं पर नहीं है कोई प्रभाव,
प्रेत्येक दिन नायब तहसीलदार के कोर्ट का कर देते हैं बहिष्कार
अधिकारी कोर्ट में बैठना चाहते है तो भी इनकी मनमानी नहीं चलने देती है कोर्ट,
राजस्व से संबंधित 150 मामले लंबित है हाटा नायब तहसीलदार के न्यायायलय में,
जब भी कोर्ट बैठना चाहती है तो कर देते है प्रस्ताव, आमादा मारपीट हो जाते है उतारू,
आम आदमी को कैसे मिले न्याय जब
न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता ही बन जाए न्याय में बाधा

संवाददाता हाटा

जहां देवरिया के फतेहपुर कांड के बाद प्रदेश की योगी सरकार राजस्व से संबंधित मामलों के त्वरित और प्रभावी निस्तारण के लिए लगातार प्रतिबद्ध है, सूबे के मुखिया योगी जी फुल फॉर्म में हैं की प्रदेश में पुनः राजस्व के मामलों में कोई लापरवाही न हो और आम जन के लिए त्वरित और सुलभ न्याय उपलब्ध हो सके वही मुखमंत्री आवास से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुशीनगर की हाटा तहसील में पिछले
03 माह से वादकारियों को केवल और केवल सिर्फ तारीख नसीब है, कारण है यहां के कुछ चुनिंदा वकील साहब लोग , जिनका लक्ष्य किसी कीमत पे न्यायालय को हर हाल में अवरुद्ध करना है, ताकि वो दीर्घ काल तक न्याय दिलाने के नाम पे वादकारियों की जेब ढीली कर सके , उनका शोषण कर सके , लेकिन धन्य है कुशीनगर का जिला प्रशासन जिसके पास ऐसे शोषकों , ऐसे अत्याचारियों को कोई दवा अथवा विकल्प नहीं है,
आलम ये है की अपर तहसीलदार के न्यायालय में 150 राजस्व से संबंधित मामले जस के तस पड़े है,
इंडिया वॉच की टीम पिछले 03 माह से उक्त तहसील का जायजा ले रही है, जिसमे अभी तक उक्त दबंग अधिवक्ताओं ने केवल 02 दिन अपर तहसीलदार हाटा की कोर्ट चलने दी है,
जब भी कोर्ट बैठना चाहती है , उक्त चुनिंदा अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहने हेतु प्रस्ताव कर देते है,
जब कोर्ट स्वयं बैठना चाहती है, जब वादकारी स्वयं (बिना वकील ) के अपनी बात कोर्ट के सामने रखना चाहते है तब भी ये अधिवक्तागण वादकारियों से आमादा फौजदारी उतारू हो जाते है ।
इनका लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ किसी कीमत पर कोर्ट नही चलने देना है ।
ताकि ये दीर्घकाल तक वादकारियों की जेब ढीली कर सके, ताकि ये लंबे काल तक वादकारियों का शोषण कर सके, ताकि ये किसी भी कीमत पे वादकारियों के मामले का निस्तारण न होने दे, इनकी दुकानें सतत चलती रहे , ये आम जन का खून चूसते रहे ।
इस बाबत जब हमने जिले के मुखिया जिलाधिकारी श्रीयुत उमेश मिश्र जी से बात की तो उन्होंने संबंधित को निर्देशित किया, सरकार और प्रशासन के त्वरित और सुलभ न्याय हेतु उप जिलाधिकारी से वार्ता कर निर्देश दिए लेकिन नतीजा सिफर,
जब 02 दिन पहले हमने उप जिलाधिकारी हाटा श्रीयूत हीरा लाल जी से वार्ता की गई, जब उनसे पूछा गया कि क्या तहसील अधिवक्ताओं के साथ कोर्ट भी हड़ताल पर है तो उन्होंने बताया उनकी प्रथम प्राथमिकता है की कोर्ट चलें और शासन और सरकार की मंशा के अनुरूप वादकारियों, पीड़ितों को त्वरित रूप से न्याय उपलब्ध हो , लेकिन तहसील अधिवक्ताओं द्वारा प्रायः प्रस्ताव दे दिया जा रहा है , यथासीघ्र वार्ता कर इस मामले का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा ,
तहसील अधिवक्ताओं का ये व्यवहार न्यायसंगत नहीं माना जा सकता ।
वहीं अपने अपने मामलों की पैरवी करने वाले जब कुछ वादकारियों से इस बाबत सवाल किए गए तो पिछले
27 वर्षो से अपने पिता के वसीयत संबंधी वाद लड़ रही देवरार पिपरा निवासी दो बहनों दुलारी और ध्यांति ने बताया की वो अपने पिता की वसीयत संबंधी वाद जो अपर तहसीलदार हाटा के न्यायालय में चल रहा है , में न्याय पाने हेतु पिछले 27 वर्षों से मुकदमा की पैरवी कर रही है, कोर्ट और अधिकारी भी बैठने को तैयार है, लेकिन 70 साल की हो चुकी इन वृद्ध बहनों को इन तहसील के दलाल, भ्रष्ट अधिवक्ताओं के चलते न्याय मिलने की उम्मीद मद्धिम पड़ चुकी है , एक और वादकारी फिरोज अहमद से पूछे जाने पर की उक्त मामले में वो क्या कहना चाहते है ,उन्होंने बताया की “साहब ये अधिवक्ता नही जिंदा लाशों के रूप में
मुर्दाखोर जॉम्बीज है ”
जिनसे किसी प्रकार की न्याय की उम्मीद करना खुद के आत्मा की हत्या करने जैसा है, वो जल्द ही योगी जी के पास जायेंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे , साथ ही इनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही हेतु बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को शिकायती पत्र भी लिखेंगे