लखनऊ। मायावती ने प्रदेश के 18 मंडलों के मुख्य सेक्टर प्रभारियों और 75 जिलों के जिलाध्यक्षों के साथ बंद कमरे में चुनावी रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने इस दौरान जिले व बूथवार संगठन गतिविधियों की समीक्षा की। प्रदेश में 21 अक्तूबर से चल रहे पोलिंग बूथों तक संगठन विस्तार की जानकारी ली। रिपोर्ट में किसी तरह की कमी मिलने पर उसे दूर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को भाजपा व सपा के साथ कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा घबराई हुई है अगर वह 300 सीटें जीत रही होती तो थोक में मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को न बुलाया जाता। शिलान्यास और लोकर्पण का बहाना न खोजा जाता। भाजपा व सपा विधानसभा चुनाव को हिंदू-मुसलमान बनाना चाहती है। बसपा सुप्रीमो ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भाजपा को अगर चुनाव हारने का डर न होता तो केंद्रीय नेताओं व मंत्रियों को थोक में प्रचार के लिए न बुलाया जाता। चुनाव घोषित होने से पहले प्रदेश की जनता व छात्राओं को लालच न देने पड़ते। यही स्थिति सपा और काफी कुछ अन्य विरोधी पार्टियों की भी देखने को मिल रही है। जनता इनके प्रलोभन में आने वाली नहीं है। इस बार बसपा ही सत्ता में आने वाली है।
*गांव-गांव जाकर सबको करें सावधान:*
उन्होंने कहा कि विरोधी पार्टियां साम, दाम, दंड, भेद करके अपने पक्ष में हवा बनाने में लगी है। बैठक में पार्टी के लोगों को इससे भी सचेत किया जाएगा। बसपा के लोग शहर-शहर व गांव-गांव जाकर लोगों को इससे सावधान करने का काम करेंगे। यूपी की जनता ने आजादी के बाद या शुरू में काफी लंबे समय तक कांग्रेस, सपा, भाजपा व बसपा का शासनकाल देखा है। प्रदेश की जनता पूरी ईमानदारी से बताएं की सभी पार्टियों में किसकी सरकार बेहतर रही। उन्होंने कहा कि प्रदेश जनता ही नहीं विरोधी पार्टयों के लोग भी दबी जुबान में यही कहेंगे की बसपा का शासनकाल बेहतरीन रहा है। उन्होंने प्रदेश की जनता से अपील की है कि वे अपने हित और कल्याण को ध्यान में रखकर इस चुनाव में किसी भी भावना, प्रलोभन व बहकावे में न आकर बेहतरीन शासनकाल को याद करते हुए वोट करें।
*फोन टेपिंग में सत्ता का दुरुपयोग*
मायावती ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब उस पर फोन टेपिंग के आरोप लगाते थे अब यही भाजपा पर लग रहे हैं। हो सकता है कि फोन टेप कराया जा रहा हो। वोट को आधार से जोड़ने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया। इस पर चर्चा करानी चाहिए थी। अयोध्या में अफसरों व मंत्रियों द्वारा जमीन लेने की जांच उच्च स्तर पर होनी चाहिए।