गाजीपुर से शमीम भाई की रिपोर्ट
गाजीपुर: स्थानीय तहसील जखनिया स्थित शादियाबाद में मदरसा बदरुल ओलूम कस्बादयालपुर ,शादियाबाद (गाजीपुर) में आज 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया गया। इस मौके पर मदरसे के नाजिम /प्रबंधक डॉ० बदरुद्दीन शास्त्री ने कहा कि विश्व भर में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने व उनके योगदान को राष्ट्रीय निर्माण में सुनिश्चित करने के लिए प्रति वर्ष 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने 1992 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों के शिक्षा व संवैधानिक अधिकार का संरक्षण, आर्थिक सशक्तिकरण ,महिला सशक्तिकरण ,समान अवसर कानून के तहत सुरक्षा व संरक्षण कीमती परिसंपत्तियों की सुरक्षा में आयोजन प्रक्रिया में सहभागिता प्रदान करना था। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने अल्पसंख्यकों को एक वैश्विक परिभाषा के तहत परिभाषित भी किया जिसके अनुसार किसी राष्ट्रीय या राज्य में रहने वाला ऐसा समुदाय जो संख्या बल में कम हो तथा जो सामाजिक राजनैतिक व आर्थिक रूप से निर्बल हो जिनकी भाषा जाति धर्म बहुसंख्यक से भिन्न होने के बाद भी राष्ट्र के निर्माण विकास एकता संस्कृति व परंपरा व भाषा को बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं ऐसे किसी भी समुदाय को राष्ट्र व राज्य में अल्पसंख्यक माना जाना चाहिएl भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक होने का आधार धर्म और भाषा को माना गया है। भारत की कुल जनसंख्या का अनुमानतः 19% अल्पसंख्यक समुदाय का है इसमें मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध व पारसी हैं। जैन ,वहाई व यहूदी अल्पसंख्यक तो है लेकिन इन्हें संबंधित संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है भारत सरकार ने अल्पसंख्यक अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1978 में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया था इसे बाद में अल्पसंख्यक राष्ट्रीय आयोग अधिनियम के तहत कानून के रूप में 1992 में पारित किया गया। इसे वह सारे संवैधानिक अधिकार प्राप्त है जो दीवानी अदालतों को है
इस मौके पर मदरसे के अध्यापक और छात्र /छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित रहे। बच्चों को कलम, कॉपी ,किताब वितरण किया गया।