#ओडिशा ट्रेन हादसा: हर ओर बिछी थीं लाशें, चारों तरफ था खून ही खून, मौत के मुंह से बाहर आए दो भाइयों की कहानी#
ओडिशा के बालेश्वर में ट्रेन हादसे ने पूरी दुनिया को थर्रा दिया है। साहिबगंज के बरहड़वा की रामनगर पंचायत के बड़तल्ला बसंतपुर गांव के रामसुंदर रमानी और रामरूप रमानी भी इसी ट्रेन से केरल जा रहे थे। दोनों जब रविवार को गांव सकुशल आ गए तो स्वजन रो पड़े। पूरा गांव उनको देखने उमड़ पड़ा। सब यही कह रहे थे कि भगवान की कृपा से दोनों जिंदा बच गए। दोनों भाइयों का कहना था कि अचानक धमाके की आवाज हुई, लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। कई की जान चली गई, लाशें देख रोंगटे खड़े हो गए। फिर बेहोश हो गए। दोनों भाइयों ने बताया कि गांव में काम नहीं मिलने की वजह से परिवार के भरण पोषण के लिए केरल जाने के लिए घर से निकले थे। हावड़ा स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस पकड़ कर जनरल बोगी में बैठे। बालासोर के बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास करीब तीन बजे जोरदार धमाका हुआ। ट्रेन पटरी छोड़कर पलटने लगी। गाड़ी में कोहराम मच गया। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मौत को सामने देख आंखों में अंधेरा छा गया। हर ओर मौत का मंजर था। कब हम बेहोश हो गए, पता नहीं चला। रामसुंदर ने बताया कि होश आया तो डिब्बे के बाहर थे। हर ओर लाशें देख रो पड़े। चारों ओर खून ही खून था। तब अपने भाई रामरूप को खोजने लगे। तभी पता चला कि कुछ लोगों का इलाज बगल के अस्पताल में चल रहा। वहां पहुंचे तो हर ओर चीख पुकार और चीत्कार से कलेजा दहल गया। इसी बीच अपने भाई को इलाज कराते देखा तो जान में जान आई। हम दोनों भाई एक-दूसरे को देख रो पड़े, गले लग गए। दोनों की माता सोनोका देवी ने बताया कि ट्रेन हादसे की खबर किसी ने मोबाइल से दी तो हम सभी रोने लगे। तुरंत गाड़ी भाड़े पर कर बेटों के लिए घर से निकले। घटनास्थल पर पहुंच दोनों पुत्र को देख राहत मिली। रामरूप के सिर और पैर में चोट लगी है। रामसुंदर को हल्की चोट आई है। रामसुंदर का पत्नी पूर्णिमा देवी व चार साल का एक लड़का और सात साल की एक लड़की है। रामरूप का भी विवाह हो गया है।