यूपी के एक और जिले के लिए नए नामकरण की मांग,जानिए योगी सरकार ने अबतक बदले कितने नाम

लखनऊ: एक मशहूर कहावत हम हमेशा से सुनते आए हैं कि नाम में क्या रखा है, पर अगर बात यूपी की राजनीति और यहां आने वाले समय में होने वाले चुनावों की जाए तो नाम और नामों की सियासत काफी मायने रखती है.

इस प्रदेश में नामों को लेकर हमेशा से ही सियासत गरमाती रहती है, पहले की सरकारों ने भी नाम बदलने पर पुरजोर ध्यान दिया और वर्तमान में यहां सत्तासीन भाजपा के कार्यकाल में भी ज्यादातर सांसद-विधायक, जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में कहीं न कहीं नाम परिवर्तन चाहते हैं.

खुद मुख्यमंत्री योगी भी यूपी के शहरों-कस्बों के नामों को मुस्लिम शासकों आक्रांताओं के नामों से हटाकर हिंदू व्यक्तित्वों के नामों पर रखने की बात कई बार कर चुके हैं और इसपर अमल भी होता रहा है. अभी हाल ही में फैजाबाद रेलवे जंक्शन का नाम बदलते हुए अयोध्या कैंट किया गया है.

इससे पहले इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज, फैजाबाद जिले का अयोध्या और मुगलसराय का नाम दीनदयाल उपाध्याय नगर किया ही गया था. अभी वर्तमान में मुजफ्फरनगर व आगरा का नाम बदलने की मांग औपचारिक रूप से सामने भी आ चुकी है और भाजपा के विधायक प्रकाश द्विवेदी ने भी सीएम से को चिट्ठी लिख अपने जिले बांदा का नाम महर्षि बामदेव के नाम पर रखने की मांग की है. योगी से पहले की सरकारों ने भी नामों को बदलने की इस राजनीति को खूब भुनाया था .

नामों की इस चर्चा के बहाने हम आपके सामने रखना चाहते हैं, इस प्रदेश में चल रही नामों की सियासत और नाम परिवर्तन के इतिहास का एक दस्तावेज, जिससे आप समझ पाएं कि कहां-कहां नामों को लेकर क्या हुआ और क्या करने की तैयारी है.

यूपी के इन जगहों के नाम बदले

मुगलसराय स्टेशन का नाम एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनयदयाल उपाध्याय के नाम कर दिया।
इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया.
फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या किया गया.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल कानपुर के पनकी स्टेशन का नाम पनकी धाम कर दिया था।
दिल्ली स्थित दो भवनों यूपी सदन और यूपी भवन का नाम बदला गया. यूपी सदन का नाम उत्तर प्रदेश सदन त्रिवेणी रखा गया, जबकि यूपी भवन का नाम उत्तरप्रदेश भवन संगम किया गया.
गोरखपुर के उर्दू बाजार का नाम हिंदू बाजार तथा मियां बाजार का नाम माया बाजार किया गया.
प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम बदले. इलाहाबाद जंक्शन प्रयागराज जंक्शन बना. रामबाग प्रयागराज जंक्शन बना, इलाहाबाद छिवकी स्टेशन का नाम भी बदला. प्रयागराज घाट का नाम बदलकर प्रयागराज संगम किया गया.

इनकी बदलने की तैयारी
बरेली एयरपोर्ट (नाथनगरी), गोरखपुर (महायोगी गोरखनाथ), आगरा एयरपोर्ट (दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट)के नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।
योगी सरकार ने झांसी स्टेशन का नाम रानी लक्ष्मी बाई के नाम पर रखने की सिफारिश की है.
अलीगढ़, गाजीपुर, सुल्तानपुर और फिरोजाबाद के नाम बदलने के प्रस्ताव तो यहां की जिला पंचायतों ने पारित भी कर दिए हैं.
फतेहपुर, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, आजमगढ़ और गाजियाबाद के नाम बदलने को लेकर भी जब-तब खबरें आती रहती हैं.

ये हैं नाम बदलने की कुछ प्रमुख मांगें

विहिप ने साल 2015 में प्रस्ताव पास कर कहा था कि अलीगढ़ का प्राचीन नाम हरिगढ़ है,अत: इसे वही पुकारा जाए.
योगी आदित्यनाथ जब सांसद थे तो अपने भाषणों में आजमगढ़ को आर्यमगढ़ कहते थे, इसे आर्यमगढ़ करने की मांग बहुत पहले से है.
संभल का नाम बदलकर पृथ्वीराज नगर या कल्कि नगर करने की मांग वहां के भाजपा कार्यकर्ताओं की है .
फिरोजाबाद जिला पंचायत ने बाकायदा एक प्रस्ताव पारित कर जिले का नाम चंद्रनगर करने की मांग की है.
बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर कराना चाहते हैं, क्योंकि मान्यता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने इस जगह की स्थापना की थी.
सहारनपुर की देवबंद विस सीट से विधायक (भाजपा) बृजेश सिंह देवबंद को देवव्रंद कहलवाना चाहते हैं.
शाहजहांपुर की दादरौल विस से विधायक (भाजपा) मानवेंद्र सिंह शाहजहांपुर का नाम शाजीपुर बदलवाना चाहते हैं.
शाहजहांपुर से ही एक और भाजपा विधायक वीर विक्रम सिंह खुदागंज ब्लॉक का नाम फ्रीडम फाइटर ठाकुर रोशन सिंह के नाम पर रखने की मांग लेकर योगी आदित्यनाथ तक गए.
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा से विधायक (भाजपा) अलका राय गाजीपुर को विश्वामित्र के पिता राजा गढ़ी की राजधानी बताकर इसका नाम गढ़ीपुरी करने की मांग कर रही हैं.
मुजफ्फरनगर के कुछ जनप्रतिनिधियों की ओर से इसका नाम लक्ष्मीनगर करने की भी मांग है.
भाजपा विधायक संगीत सोम ने मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर करने की मांग की है।
आगरा उत्तरी के विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने सीएम से आगरा का नाम बदलकर अग्रवन करने की मांग की है.
सुल्तानपुर, मैनपुरी, गाजियाबाद समेत कई शहरों के नाम बदलने की मांग लगातार की जा रही है.

कहां से उठी यह बयार
यूपी में योगी सरकार तो अभी पिछले साढे चार साल से ही है, पर विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा के सहयोगी संगठन हमेशा से ही यह आरोप लगाते रहे थे कि विदेशी आक्रांताओं ने हमारे देश में प्रचलित हिंदू नामों को जबरन बदला है. अब चूंकि भाजपा देश और राज्यदोनों जगह पावरफुल है तो ये नाम फिर से बदले जाने चाहिए. इसके विरोध में काफी सुर उठ रहे हैं. इतिहासविद इरफान हबीब ने मुजफ्फरनगर का नाम बदलने की मांग का जमकर विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट कर इसे सांप्रदायिक मांग बताया है.

नाम बदलने में बुआ-भतीजा भी पीछे नहीं
मायावती ने अपने कार्यकालों में जिलों का नाम दलित संतों व महापुरुषों के नाम पर किया। उनकी पसंद गौतम बुद्ध और अंबेडकर थे. एटा से काटकर बनाए जिले कासगंज का नाम उन्होंने कांशीराम नगर किया. अमेठी को जिला बना नाम छत्रपतिशाहूजी नगर दिया. अमरोहा को ज्योतिबा फुले नगर, हाथरस का महामाया नगर, संभल का नाम भीमनगर, कानपुर देहात का नाम रमाबाई नगर, हापुड़ का नाम पंचशील नगर, शामली का नाम प्रबुद्धनगर रखा, नोएडा गौतमबुद्धनगर हुआ तो फैजाबाद जिले के एक हिस्से को अंबेडकरनगर नाम दिया। अखिलेश यादव भले ही नाम की राजनीति की आलोचना करते हैं, पर उन्होंने कुर्सी पाते ही अमेठी का नाम गौरीगंज, ज्योतिबा फूले नगर का अमरोहा, महामाया नगर का हाथरस, कांशीराम नगर का कासगंज, रमाबाई नगर का कानपुर देहात, प्रबुद्ध नगर का शामली और भीमनगर का नाम फिर से संभल कर दिया। मायावती ने उनके इस कदम पर सख्त विरोध जताया था.