उज्जैन के महाकाल थाने के कोट मोहल्ला क्षेत्र में दो पक्षों के बीच पानी भरने की बात को लेकर कहासुनी से शुरू हुआ विवाद लट्ठ और हथियारों के हमले तक पहुंच गया। इसमें लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए हैं।
अभी तो गर्मी ने दस्तक ही दी है और उज्जैन में पानी के लिए विवाद होना भी शुरू हो चुके हैं। महाकाल थाने के कोट मोहल्ला क्षेत्र में दो पक्षों के बीच पानी भरने की बात को लेकर कहासुनी से शुरू हुआ विवाद लट्ठ और हथियारों के हमले तक पहुंच गया। इसमें लगभग आधा दर्जन लोगों के घायल होने की सूचना है। इस घटना में पुलिस ने दोनों पक्षों की रिपोर्ट पर प्रकरण दर्ज करते हुए पूरे मामले की विवेचना शुरू कर दी है।
महाकाल थाना पुलिस ने बताया कि कोट मोहल्ला क्षेत्र की गली नंबर 4 में रहने वाले फैयाज मोहम्मद पिता मोइनुद्दीन सिद्दीकी और गली नंबर 5 में रहने वाले रियाज पिता बाबू खान (62) के बीच सरकारी बोरिंग से पानी भरने की बात को लेकर विवाद हुआ था। इसमें दोनों पक्षों के बीच विवाद इतना बड़ा कि देखते ही देखते दोनों पक्षों में लट्ठ और लोहे के सित्तूर से हमला हो गया। लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए हैं। महाकाल थाना प्रभारी मुनेंद्र गौतम ने बताया कि इस मामले मे दोनों पक्षों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 323, 324, 294, 506, 34 में प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।
बोरिंग का वॉल बंद करने पर हुआ विवाद
इस घटनाक्रम के बारे में महाकाल थाना पुलिस तो ज्यादा कुछ बताने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अस्पताल में अपने परिजनों का इलाज करवा रहे रियाज ने बताया कि वह और उनका परिवार सरकारी बोरिंग से पानी भर रहा था तभी यहां फैयाज पहुंचा और उसने यह कहते हुए सरकारी बोरिंग का वॉल बंद कर दिया था कि तुम सुबह से पानी भर रहे हो। अब हमारी बारी है। रियाज के परिवार के लोगों ने जब इस बात पर विरोध जताया तो फैयाज लट्ठ और लोहे के सित्तूर लेकर विवाद करने लगा और उसने रियाज के नवासे फरदीन, भांजे अमीर, बेटे अकरम, भांजी गुलनाज, बहन शमशाद के साथ ही अन्य लोगों को हमला कर चोट पहुंचाई है। रियाज ने जहां फैयाज और उसके परिवार के लोगों पर यह हमला करने का आरोप लगाया है, वहीं फैयाज ने भी इस मामले में रियाज और उसके परिवार को दोषी बताया।
कल से ही हुई है एक दिन छोड़कर जल प्रदाय की शुरुआत
बता दें कि गंभीर डैम में लगातार पानी कम होने पर नगर निगम के जिम्मेदारों ने कुछ दिनों पूर्व यहां का निरीक्षण किया था और 23 अप्रैल से ही एक दिन छोड़कर जल प्रदाय करने की शुरुआत हुई है।