द्वारका जिला अदालत ने पाक्सो कानून के तहत पांच साल से जेल में बंद एक आरोपित को जमानत दे दी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पूजा तलवार ने शुक्रवार को कहा, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सभी महत्वपूर्ण गवाहों की पहले ही जांच की जा चुकी है और आरोपित लगभग 5 साल से हिरासत में है। उसे जमानत पर रिहा किया जाता है।
कई बार पीड़िता के साथ किया यौन अपराध
हालांकि, कोर्ट ने आरोपित को निर्देश दिया कि वह मामले के लंबित रहने तक पीड़िता और उसके परिवार से किसी भी तरह से संपर्क न करे। बता दें कि साल 2018 में आरोपित के खिलाफ 8 महीने की अवधि में बार-बार यौन अपराध करने और नाबालिग पीड़िता की आपत्तिजनक तस्वीरें क्लिक करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
मामले में झूठा फंसाया गया- वकील
इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह हिरासत में है। इससे पहले आरोपियों की नियमित और अंतरिम जमानत की अर्जियां ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थीं। आरोपियों की ओर से पेश हुए एनालिस्ट लॉ एसोसिएट्स के एडवोकेट युगांत शर्मा और एडवोकेट सिद्धार्थ भारद्वाज ने तर्क दिया पक्षकारों के बीच उत्पन्न हुए वित्तीय विवाद को देखते हुए अभियुक्त को फंसाया गया है और वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है
हृदय रोगी है आरोपित
अभियुक्तों के वकीलों ने आगे तर्क दिया कि जिन गवाहों की जांच की गई है उनके बयानों में विरोधाभास हैं और रिकॉर्ड पर कोई विश्वसनीय सामग्री नहीं है जो अभियुक्तों के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करती हो। आगे तर्क दिया गया कि आरोपित हृदय रोगी है और बैसाखी के सहारे चलने के कारण उसके पैरों में गंभीर समस्या है।
अभियुक्तों के वकील ने यह भी तर्क दिया कि पीएमएलए, यूएपीए आदि सहित अन्य कड़े कानूनों के विपरीत पॉक्सो अधिनियम में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि आरोपित को जमानत पर रिहा करने से पहले अदालत को संतुष्ट होना पड़े। अधिवक्ताओं द्वारा आगे प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्तों की स्वतंत्रता दांव पर है। इसके अलावा, आरोपित के भागने का जोखिम नहीं है और ऐसे में आरोपित जमानत पर रिहा होने का हकदार है।