#राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के बैनर तले कलेक्ट्रेट स्थित मेहता पार्क आजमगढ़ में ” युवा संसद एवं महापंचायत ” कार्यक्रम की शुरूआत#

राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के बैनर तले कलेक्ट्रेट स्थित मेहता पार्क आजमगढ़ में ” युवा संसद एवं महापंचायत ” कार्यक्रम की शुरूआत महापुरूषों की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया l अध्यक्षता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह”पुष्कर” ने छात्रों,नौजवानों,बेरोजगारों को संबोधित करते हुए कहा कि नौजवानों में जागरूकता लाने,बुनियादी सवालों के समाधान,बेहतर भविष्य एवं अधिकार,सरंक्षण,संवर्धन, भूमिका,भागीदारी को सुनिश्चित कराने तथा उनको शोषण,उत्पीड़न,अन्याय से निजात दिलाने,निःशुल्क व समयबद्ध प्रतियोगी परीक्षाएं एवं गड़बडी, अनियमितता व भ्रष्टाचार के लिए संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित कराने,छात्रसंघ चुनाव बहाल कराने,सरकारी संस्थाओं में आउटसोर्सिंग(सेवाप्रदाता) जैसी कुप्रथा को समाप्त कराने,युवा आधारित नीति के तहत राष्ट्रीय युवा आयोग के गठन,कुशल-योग्य बेरोजगारों के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी जैसी ठोस कार्ययोजना बनाए जाने तक प्रदेश के सभी जिलों सहित पूरे देश में नौजवानों को न्याय मिलने तक सड़क पर संसद एवं महापंचायत कार्यक्रम क्रमबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है l

इसके पूर्व युवा अधिकार महासम्मेलन,महापंचायत,युवा संवाद,युवा सत्याग्रह,युवा मौन सत्याग्रह व युवा अधिकार एवं न्याय यात्रा के माध्यम से नौजवानों को जागरूक कर एक मंच पर लामबंद करने की कोशिश की जाती रही है कोई विकल्प न होने से राजनीतिक दलों के चंगुल में नौजवान अभी भी फंसा हुआ है अब उन तमाम नौजवानों को राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के रूप में एक बेहतर विकल्प प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि अपनी आवाज को बुलंद कर सकें।

मीडिया से बातचीत करते हुए मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर ने कहा कि मंच अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए लगातार छात्रों,नौजवानों,बेरोजगारों के बुनियादी सवालों के समाधान एवं उनके बेहतर भविष्य,सम्मान,स्वाभिमान,अधिकार के सरंक्षण,संवर्धन एवं भूमिका, भागीदारी एवं उनके साथ अन्याय,भेदभाव,उत्पीड़न,शोषण के विरुद्ध सदैव संघर्षरत है,दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि राजनैतिक दलों द्वारा प्रायोजित तरीके से जाति-धर्म की गहरी खाई खोदने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा l जाति-धर्म की राजनीति में नौजवान हाशिए पर है,नौजवानों को सिर्फ वोटबैंक,प्रचारतंत्र के रूप में इस्तेमाल किया गया,आजादी से लेकर विभिन्न आन्दोलनों यहां तक कि सरकार बनाने में भी नौजवानों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है,लेकिन बेरोजगारों,नौजवानों के लिए राजनैतिक दलों के पास कोई ठोस नीति,नियत,कार्ययोजना नहीं है, राजनैतिक दल अपने एवं परिवार के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे,लिहाजा नौजवानों को अपने अस्तित्व की लड़ाई स्वयं लड़ने के लिए जाति-धर्म एवं दलगत भावना से ऊपर उठकर 65 से 70 प्रतिशत आबादी के नौजवानों को एक मंच पर एकजुट होना समय की मांग है,अन्यथा सोने के चम्मच लेकर पैदा अथवा थोपे हुए युवाओं के ठेकेदारों से ही संतोष करना पड़ेगा l

उन्होंने कहा कि राजनैतिक जिम्मेदारी निभाने के बजाय पक्ष-विपक्ष उन्मादित बयान देकर बुनियादी सवालों का समाधान नहीं चाहते l नौकरशाही के मकड़जाल में सरकार पंगु बन चुकी है जिसका नतीजा है कि रोजगार के लिए लाखों-करोड़ों प्रतियोगी छात्र संघर्ष कर रहे है। पारदर्शी व स्पष्ट नीति के बजाय पेट(प्रारंभिक पात्रता परीक्षा)के नाम पर नौजवानों को गुमराह व शोषण कर सिर्फ करोड़ों रूपये वसूली हो रही है, वेब सीरीज जैसी तमाम साइटों के माध्यम से नई पीढ़ी एवं समाज के सामने अश्लीलता को सरकार रोकने में विफल है,प्रतियोगी परीक्षाओं की समय सीमा निर्धारित नहीं है,जिससे हताश एवं निराश बेरोजगार, नौजवान अपने को ठगा महसूस कर रहा है,आऊटसोर्सिंग कंपनिया रोजगार के नाम पर खुला वसूली कर रही,पढ़ा-लिखा नौजवान अवसाद की दशा में नशे एवं अपराध की तरफ बढ़ रहें है,आत्महत्याएं कर रहे जो चिंताजनक है। लिहाजा स्पष्ट नीति,कार्ययोजना व बेरोजगारी समाप्त होने तथा न्याय मिलने तक बेरोजगार,नौजवान सड़क पर ही संसद चलाकर,महापंचायत करके अपनी लड़ाई स्वयं लड़ेगा, जिसकी शुरुआत 24 सितंबर अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की कर्मभूमि संगम नगरी प्रयागराज से हो चुकी है जिसमें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्र भी शामिल हुए थे।

लोहिया जी का जिक्र करते हुए कहा कि संसद आवारा और निकम्मा साबित हो चुका है,इसीलिए युवाओं को सड़क पर संसद एवं महापंचायत करने की आवश्यकता पड़ी है क्योंकि 70 वर्षो में सदन में नौजवानों की बात करने वाला अभी तक कोई दल नहीं है,न ही किसी पर भरोसा ही रह गया है,हर कोई दल नौजवानों को छलने का ही कार्य किया ,इनकी ऊर्जा का सिर्फ राजनैतिक दल दोहन कर रहे है, नौजवानों को देश के भविष्य के बारे में विचार करने की आवश्यकता है, राष्ट्र निर्माण में नौजवानों के सशक्त हुए बगैर सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक, सांस्कृतिक रूप से सशक्त भारत की परिकल्पना संभव नहीं है। पत्रकारों के ऊपर दर्ज मुक़दमे को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि आईना का काम सूरत दिखाना है सूरत आपकी गंदी है,कि दागदार यह आईने में देखा जा सकता है पत्रकार लोकतंत्र में वो आईना है कि जिसमें सरकार या कोई व्यवस्था अपनी सूरत देख सकता है,आईने का क्या दोष दोष सूरत को ठीक करने की आवश्यकता है ll इस मौके पर बृजेश सिंह, देवी प्रसाद पांडेय,अंकित गुप्ता,सचिन सिंह,आयुष्मान सिंह,अभिषेक सिंह,आदित्य प्रताप सिंह,सूरज जायसवाल,प्रमोद यादव,अभिषेक यादव, रामकुंवर राजभर,विपिन सिंह,राघवेन्द्र दुबे,भोले शंकर विश्वकर्मा,हरीश शकील, दुर्गेश सोनकर,प्रमोद राम, अभिषेक यादव,करन कश्यप, साहिल,
आदि गणमान्य सहित सैकड़ों छात्र,नौजवान,बेरोजगार उपस्थित रहे ll