#CBI का छापा, बिल पास कराने में मोटी रकम मांगते थे, निर्माण शाखा के दो इंजीनियर और कर्मचारी भी टीम के रडार पर#
सिग्नल और दूससंचार विभाग की निर्माण शाखा में मनमाना खेल चल रहा था। टेंडर प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार कर अपनों को लाभ दिया जा रहा था। कोई शिकायत होती तो जांच की बजाय उसे दबा दिया गया। सूचना का अधिकार में भी जानकारी नहीं दी जा रही थी। सीबीआइ टीम के छापे और दो इंजीनियरों को पूछताछ के लिए साथ ले जाने के बाद अब विभाग में इस तरह की चर्चा है।
दूरसंचार को किया जा रहा है बेहतर
आगरा कैंट रेलवे स्टेशन, आगरा फोर्ट और ईदगाह स्टेशन से होकर हर दिन 180 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। अगर गुड्स ट्रेनों को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा 300 तक पहुंच सकता है। रेलवे द्वारा ट्रेनों की गति बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी के चलते सिग्नल और दूरसंचार को और भी बेहतर किया जा रहा है। दिल्ली-आगरा रेल खंड हो या फिर टूंडला-आगरा, आगरा-झांसी रेल खंड, ईदगाह-बांदीकुई रेल खंड। इन सभी खंडों में करोड़ों रुपये के कार्य चल रहे हैं। यह कार्य टेंडर से होते हैं।
दो साल से तैनात हैं दोनों इंजीनियर
आगरा रेल मंडल में उप मुख्य सिग्नल और दूर संचार इंजीनियर, निर्माण शाखा मुकेश कुमार दो साल से आगरा में और सीनियर सेक्शन इंजीनियर विजय कुमार डेढ़ साल से मथुरा में तैनात हैं। आरोप है कि चहेतों को टेंडर देने के लिए इंजीनियरों ने इनकी शर्तों में बदलाव किया। इस कार्य में मुकेश कुमार और विजय कुमार के अलावा दो अन्य इंजीनियर व दो कर्मचारी भी शामिल हैं। यह सीबीआइ की रडार पर हैं। सीबीआइ टीम इन्हें कभी भी पूछताछ के लिए बुला सकती है।
किसी को भी नहीं दिया प्रवेश
सीबीआइ टीम ने छापा मारने के साथ ही इंजीनियर मुकेश कुमार के आवास के मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया। दो कर्मचारी सरकारी कार्य से आए, लेकिन इन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया। भीतर से आए एक व्यक्ति ने इंजीनियर साहब के न होने की बात कहकर लौटा दिया।
भ्रष्टाचार में सात साल में पकड़े गए छह अधिकारी और इंजीनियर
रेल मंडल में सात साल में भ्रष्टाचार के मामले में छह अधिकारी और इंजीनियरों को पकड़ा गया है। इन सभी पर कार्रवाई की गई। सीबीआइ टीम गाजियाबाद ने यह कार्रवाई की है। आखिर बार सीबीआइ ने जुलाई 2022 में कार्मिक विभाग के मुख्य कार्यालय अधीक्षक एसके सोनी को पकड़ा था। इसके बाद अब कार्रवाई की गई है। सीबीआइ टीम ने भ्रष्टाचार के आरोप में वर्ष 2015 में एसवी शर्मा, वर्ष 2016 में एक इंजीनियर, वर्ष 2017 में एक पार्सल सुपरवाइजर, वर्ष 2020 में एक अधिशासी अभियंता, वर्ष 2022 में कार्मिक विभाग के मुख्य कार्यालय अधीक्षक एसके सोनी को पकड़ा था। इन सभी पर कार्रवाई हो चुकी है। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर रेलवे द्वारा कार्रवाई का दावा किया जाता है।
मांगते थे मोटी रकम
रेलवे इंजीनियर मुकेश कुमार और विजय कुमार द्वारा बिलों को पास करने के लिए मोटी रकम मांगी जाती थी। जयपुर स्थित मैसर्स शिवाकृति इंटरनेशनल लिमिटेड के एमडी शिवदयाल शर्मा डायरेक्टर आदित्य अवस्थी और कंपनी में सुपरवाइजर ब्रह्मानंद संबंधित इंजीनियरों के संपर्क में थे। सीबीआइ द्वारा दर्ज अभियोग में बताया गया है कि सुपरवाइजर ब्रह्मानंद द्वारा मुकेश कुमार को 23 जनवरी 2023 को दो लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी। 17 फरवरी को ब्रह्मानंद ने फिर से 1.23 लाख रुपये मुकेश कुमार को दिए थे। 14 फरवरी को इंजीनियरों ने फिर से पैसे की मांग। 18 फरवरी को कंपनी के अधिकारी ने ब्रह्मानंद को पांच लाख रुपये दिए। सीबीआइ टीम ने इंजीनियरों के यहां से रुपए भी जब्त किए हैं। छह लोगों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत किया गया है।