#दिल्ली में पार्कों की दुर्दशा, कहीं गंदगी का ढेर तो कहीं है बेसहारा पशुओं का जमघट#

कहने को तो निगम चुनावों के बाद स्थितियों में सुधार लाने के बड़े-बड़े दावे हुए, लेकिन उत्तरी बाहरी दिल्ली के पार्कों की दुर्दशा कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। यहां के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद निगम के पार्कों में सुविधाएं तो दूर बुनियादी कार्य भी पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।

यहां के सुल्तानपुरी, मंगोलपुरी, रानी बाग सहित वजीरपुर व जहांगीरपुरी के वर्षों पुराने पार्क की हालत बद से बदतर हो रही है। इनमें सुविधा के नाम पर न तो बैठने की व्यवस्था और न ही हरियाली का नामोनिशान। यह पार्क केवल नाममात्र रह गए हैं और वर्षों से लोग इन पार्कों के लाभ से वंचित हैं।
इस मामले में नगर निगम रोहिणी जोन के उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बजट की कमी के कारण पार्क विकसित नहीं हो पा रहे हैं और इसके रखरखाव व स्वच्छता में लोगों का सहयोग भी जरूरी है।

नगर निगम के उद्यान विभाग की जिम्मेदारी
इन पार्कों की देखरेख का जिम्मा नगर निगम उद्यान विभाग की है। इसमें चौकीदार से लेकर माली और स्वच्छता के लिए विभाग के कर्मचारी कार्य करते हैं। लेकिन इसमें बरती जा रही लापरवाही के कारण लोगों को परेशानी हो रही है
पार्कों में होती है गंदगी
मंगोलपुरी इलाके के विभिन्न ब्लाक के पार्कों में गंदगी की भरमार है। पार्क की दीवार से लेकर भीतरी हिस्से में यहां वहां गंदगी फैली रहती है। इसके कारण यहां सैर के लिए आने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। स्थानीय निवासी राहुल शर्मा ने बताया कि समय समय पर लोग इसके लिए संबंधित विभाग और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से शिकायत करते हैं लेकिन कोई लाभ नहीं होता। सफाई कर्मी भी लापरवाही बरतते हैं।
बेसहारा पशुओं का जमघट
रानी बाग के श्रीनगर इलाके के पार्कों में अक्सर बेसहारा पशुओं का झुंड देखने को मिलता है। यह पशु न केवल पार्क में गंदगी फैलाते हैं बल्कि दीवारों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके स्थानीय लोग अपने बच्चेां को पार्क में जाने से रोकते हैं ताकि उन्हें पशुओं के कारण कोई चोट न लग जाए। स्थानीय निवासी सुदेश कुमार ने बताया कि सड़कों पर दिनभर बेसहारा पशुओं का कब्जा रहता है और वही इन पार्कों पर भी कब्जा जमा लेते हैं। इनके गोबर से हर तरफ गंदगी फैलती है
कूड़ेदान में तब्दील हो रहे पार्क
सुल्तानपुरी इलाके के पार्क की हालत दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। इनमें किसी भी तरह की हरियाली नहीं है और न ही निगम की ओर से पौधे लगाने की कोई पहल की जाती है। हालत यह कि लोगों ने इसे कूड़ादान बना दिया है। हालांकि इसके लिए कहीं न कहीं लोग भी जिम्मेदार हैं जो पार्कों में कचरे को फेंकते हैं।

टूटे हैं बच्चों के झूले
वजीरपुर जेजे कालोनी की बात की जाए तो यहां एक ओर तो बच्चों के लिए झूले लगे हैं तो दूसरी कचरे का ढेर फैला है। झूले भी अधिकतर टूटे हैं जिनसे गिर कर बच्चे चोटिल हो सकते हैं। यहां लोगों की मांग है पार्कों का सुंदरीकरण कर इसे लोगों के प्रयोग के लायक बनाया जाए।
क्षेत्रीय निवासी ज्योति सैनी कहती हैं कि पार्क से कूड़ेदान गायब होने से गंदगी के ढेर लगे हैं और शाम ढलते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगता है। शिकायत के बाद भी नगर निगम पार्क की सुध लेने को तैयार नहीं है