अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन का पालन करना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। लोन का बढ़ता बोझ यह बता रहा है कि इस मोर्चे पर सरकार का प्रदर्शन तनिक लचीला रहा है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार की कुल ऋण ग्रस्तता 4.45 लाख करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2020-21 तक करीब 5.65 लाख करोड़ रुपये हो गई है। ऋण के सापेक्ष प्रति व्यक्ति कर्ज की बात की जाए तो इस अवधि के दौरान यह 18476 रुपये से बढ़कर करीब 26000 रुपये पहुंच गया है। सीधे शब्दों में समझे तो राज्य के हर नागरिक पर करीब 26 हजार रुपये का कर्ज है।
कहां से आता है रुपया
स्वयं के कर-36.5 प्रतिशत
करेत्तर राजस्व-3.9 प्रतिशत
केंद्रीय करों में राज्यांश-24.2 प्रतिशत
केंद्र सरकार से सहायता-17.9 प्रतिशत
लोक लेखा शुद्ध-1.0 प्रतिशत
लोक ऋण-13.1 प्रतिशत
समस्त लेन देन का शुद्ध परिणाम-3.0 प्रतिशत
कर्ज एवं अग्रिम की वसूली-0.4 प्रतिशत–
कहां खर्च होता है रुपया
पूंजीगत परिव्यय-20.5 प्रतिशत
वेतन सरकारी-13.1 प्रतिशत
वेतन सहायता प्राप्त संस्थाएं-12.2 प्रतिशत
पेंशन-12.8 प्रतिशत
सहायता अनुदान-9.3 प्रतिशत
ब्याज-7.6 प्रतिशत
अन्य राजस्व व्यय-13.5 प्रतिशत
सब्सिडी-3.8 प्रतिशत
कर्ज की अदायगी-3.7 प्रतिशत
स्थानीय निकायों का समनुदेशन-3.0 प्रतिशत
कर्ज एवं अग्रिम-0.5 प्रतिशत
(स्रोत-राज्य सरकार के वर्ष 2022-23 के बजट के अनुसार)