दुनिया के सबसे लंबा रिवर क्रूज गंगा विलास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को वाराणसी से वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह भव्य और दिव्य रिवर क्रूज क्रूज स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटकों के साथ वाराणसी से बांग्लादेश के रास्ते असम के डिब्रूगढ़ तक करीब 3200 किलोमीटर की यात्रा 51 दिनों में पूरी करेगा। यात्रा में 27 नदियों के साथ 50 पर्यटक स्थल जुड़ेंगे। इसके फर्नीचर, क्रॉकरी, कमरों के रंग व डिजाइन में 1960 के बाद के भारत की झलक दिखेगी। क्रूज की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे विहंगम हैं और इसकी भव्यता का नजारा पेश करती हैं।
दुनिया की सबसे लंबी क्रूज यात्रा पर रवाना होने के लिए तैयार गंगा विलास क्रूज आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण है। क्रूज का इंटीरियर देश की संस्कृति और धरोहर को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इंटीरियर में सफेद, गुलाबी, लाल और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है। वुडेन फ्लोरिंग और रंगों का बेहतर समन्वय पर्यटकों को सबसे अधिक पसंद आ रहा है। गंगा विलास क्रूज की आधिकारिक जलयात्रा सितंबर से शुरू हो सकती है, फिर भी क्रूज की बुकिंग अगले दो वर्षों के लिए फुल हो गई।
गंगा क्रूज के डायरेक्टर राज सिंह ने बताया कि यह क्रूज पूरी तरह से भारत में निर्मित हैं। देश भर के कई राज्यों के 40 क्रू के सदस्य हैं। क्रूज की लंबाई साढ़े 62 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है। इसमें पर्यटकों के रहने के लिए कुल 18 सुइट्स हैं। साथ में एक 40 सीटर रेस्टोरेंट, स्पा रूम और तीन सनडेक हैं। साथ में म्यूजिक का भी इंतजाम किया गया है। 32 पर्यटकों सहित कुल 80 यात्रियों के ठहरने की सुविधा है।
गंगा विलास में एक सुइट 38 लाख रुपये में बुक किए गए हैं। सुइट को कई यात्रियों ने मिलकर बुक किया है। ऐसे में एक यात्री के हिस्से में 13 लाख रुपए का खर्च आया है। अलग-अलग ट्रेवल स्लॉट के लिए किराया अलग अलग है। इनक्रेडिबल बनारस पैकेज की कीमत 1.12 लाख रुपये है। इस पैकेज में गंगा घाट से लेकर रामनगर तक का पर्यटन शामिल है। यह यात्रा चार दिन की होगी।
वहीं, बनारस में एक दिन की यात्रा का किराया 300 डॉलर यानी करीब 25 हजार रुपये है। कोलकाता-बनारस पैकेज का किराया 4 लाख 37 हजार 250 रुपये है। कोलकाता से बांग्लादेश की राजधानी ढाका तक की यात्रा का किराया भी इतना ही है। कोलकाता से मुर्शिदाबाद राउंड ट्रिप (आठ दिन) के लिए 2 लाख 92 हजार 875 रुपये देने होंगे।
अंतरा क्रूज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राज सिंह का कहना है कि क्रूज में तीन डेक हैं। तीनों डेक पर अलग-अलग सुविधाएं हैं। क्रूज पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। कचरों को एक जगह एकत्र कर सुरक्षित रूप से निस्तारित किया जाता है। प्रदूषण का स्तर शून्य रखने के र्लिए इंधन के रूप में हाई स्पीड डीजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें लगे ऑयल स्प्रेडर्स डीजल को गंगा में जाने से बचाते हैं। क्रूज में 60 हजार लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है।
क्रूज को इस तरह डिजाइन किया गया है कि पर्यटकों को प्लास्टिक की बोतलों की जरूरत ही ना पड़े। क्रूज में आधुनिक उपकरणों से लैस एसटीपी लगाई गई है। राज सिंह ने बताया कि पहले अलग-अलग नदियों में यात्रा के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी लेकिन अब एक बार ही अनुमति लेकर क्रूज यात्रा शुरू हो सकती है। इससे व्यापार, संस्कृति, शिक्षा, अनुसंधान सभी को मजबूती मिल रही है।
गंगा विलास क्रूज की अपस्ट्रीम में रफ्तार 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा है। डाउनस्ट्रीम में इसकी रफ्तार दोगुनी हो जाती है। क्रूज के संचालन में एक दिन में एक हजार लीटर डीजल खर्च होता है। इसकी ईंधन क्षमता 40 हजार लीटर की है। इस लिहाज से 40 दिन तक यह लगातार पानी पर तैर सकता है।
क्रूज के संचालन के लिए पानी की गहराई 1.4 मीटर ही चाहिए, इसलिए कोलकाता से वाराणसी आते समय कहीं भी पानी की गहराई को लेकर परेशानी नहीं हुई। खराब मौसम के कारण ही परेशान होना पड़ा। बनारस से डिब्रूगढ़ की यात्रा के दौरान पर्यटकों के लिए 40 शहरों में ठहरने और घूमने के इंतजाम किए गए हैं।
गंगा विलास क्रूज की आधिकारिक जलयात्रा सितंबर से शुरू हो सकती है, फिर भी क्रूज की बुकिंग अगले दो वर्षों के लिए फुल हो गई। इसकी पुष्टि क्रूज के निदेशक राज सिंह ने भी की है। निदेशक के मुताबिक, गंगा में क्रूज के संचालन से पर्यटक उत्साहित हैं। विदेशी पर्यटक भी खूब आ रहे हैं। गंगा विलास काशी से बोगीबिल की यात्रा पूरी करेगा, फिर कोलकाता से वाराणसी की सैर पर लौटेगा।