वाराणसी। जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन लाख दावे कर ले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में चाइनीज मंझे की बिक्री एवं खरीद पर पूरी तरह से रोक लागू है, इसे बेचने और खरीदने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन सिर्फ कागजी आंकड़ेबाजी में ही महारत हासिल किए हुई है। इसका जीता जागता उदाहरण 2 दिन पहले देखने को मिला जब सर्किट हाउस कर्मचारी आवास में रहने वाले शेष नारायण दुबे गिलट बाजार, शिवपुर से अपने बाइक से सर्किट हाउस की ओर लौट रहे थे कि पतंगबाज की चाइनीज़ मंझा उनके गले में आकर फंस गया और वह जख्मी होकर सड़क पर गिर कर छटपटाने लगे। यह सौभाग्य ही था कि उसी वक्त एक कार उधर से गुजर रही थी जिसकी बोनट में मंझा फंसकर टूट गया। इस कारण से शेष नारायण दुबे की जान तो बच गई लेकिन वह गम्भीर रूप से चोटिल हो गए। बताते चले कि शेष नारायण दुबे सर्किट हाउस में इलेक्ट्रिशियन हेल्पर के पद पर कार्यरत है और सर्किट हाउस कर्मचारी आवास में ही रहते है। चाइनीज मंझे की खरीद एवं बिक्री पर रोक लगाने के लिए कहने को तो समय-समय पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर पाबंदी लगाने की बात की जाती है लेकिन यदि वास्तव में इस पर उचित कार्यवाई होती और यह पूरी तरह से खरीद-बिक्री प्रतिबंधित होती तो शायद आज शेष नारायण दुबे का यह हालत नहीं हुआ होता। ऐसे ही पता नहीं कितने दुबे जैसे लोग हैं जो आए दिन चाइनीज मंझे की चपेट में आकर घायल हो रहे हैं और कुछ लोग तो अपनी जान भी गवा बैठे हैं। यदि समय रहते जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन इस पर नकेल नहीं कसती है और चाइनीज मंझे की खरीद-बिक्री पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाती है तो आए दिन इस तरह की घटनाएं आम हो जाएगी जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला एवं पुलिस प्रशासन की होगी। गौरतलब है कि इसके पहले भी चाइनीस मंझे की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल होकर अस्पताल भी पहुंच चुके हैं बावजूद उसके पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।