बई में अलग-अलग स्थानों पर AQI लेवल अलग-अलग दर्ज किया गया। मलाड में हवा की गुणवत्ता 311 थी जो कि बेहद खराब थी। इसके बाद मंझगांव और चेंबूर में 303 थी। बांद्रा-कु्र्ला में AQI लेवल 269 दर्ज हुआ।
देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की चर्चा पूरे विश्व में होती है लेकिन अब मुंबई भी इससे अछूती नहीं रही। रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई है। मुंबई के कुछ स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के आंकड़े को पार कर गया है जबकि कुछ स्थानों पर 200 के पार था, जिसे बेहद खराब स्तर माना जाता है। सोमवार को मुंबई का ओवरऑल AQI लेवल 225 दर्ज हुआ। जबकि दिल्ली का समग्र AQI लेवल 152 था। ये आंकड़े SAFAR (वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान की प्रणाली) के हैं जिसने मुंबई का AQI लेवल बदतर बताया है। हालांकि, मुंबई में अलग-अलग स्थानों पर AQI लेवल अलग-अलग दर्ज किया गया। मलाड में हवा की गुणवत्ता 311 थी जो कि बेहद खराब थी। इसके बाद मंझगांव और चेंबूर में 303 थी। बांद्रा-कु्र्ला में AQI लेवल 269 दर्ज हुआ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी भी दिल्ली की हवा को ज्यादा जहरीली बता रहा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार मुंबई में हवा की गुणवत्ता 168(मध्यम) और दिल्ली 218 (खराब) पर थी। अब बात करते हैं आखिर CPCB और SAFAR के आंकड़ों में अतर क्यो है। दरअसल, SAFAR के शहर में नौ स्थानों पर निगरानी स्टेशन हैं जबकि CPCB 18 स्थानों के आधार पर समग्र AQI की गणना करता है। दूसरी ओर, दिल्ली में CPCB के 36 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन हैं।
मुंबई में प्रदूषण के पीछे की कई वजहें
कुछ दिन पहले जी20 शेरपा अमिताभ कांत और नगर आयुक्त आई एस चहल के बीच बातचीत में मुंबई के खराब एक्यूआई का मुद्दा उठा था। जहां चहल ने बड़े प्रदूषण के लिए रिफाइनरियों और टाटा पावर प्लांट को जिम्मेदार ठहराया, वहीं कांत ने सोमवार को कहा कि सल्फर-डाइऑक्साइड रिफाइनरियों का उत्सर्जन निर्धारित मानदंडों के भीतर था। कांत, जिन्होंने केंद्रीय पेट्रोलियम सचिव एम एम कुट्टी से भी बात की, ने कहा कि माहुल क्षेत्र में दो रिफाइनरियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सल्फर उत्सर्जन को कम करें।