गंगा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक, राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है

बृहस्पतिवार को दशाश्वमेध घाट पर नागरिकों द्वारा प्रवाहित गंगा को प्रदूषित कर रहे निर्माल्य को निकालकर नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि नदियों के बिना किसी भी सभ्यता का विस्तार नहीं हो सकता है और गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का काम करती है। मां गंगा के बिना भारतीय सभ्यता अधूरी है। गंगा न केवल राष्ट्रीय नदी है बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है। देश में विविध भाषाएं, धर्म, संस्कृति, संगीत होने के बावजूद कुछ ऐसी चीजें हैं जो हमें बांधे रखती हैं, एकजुट रखती हैं…गंगा उनमें से एक है । नदियों के बिना सभ्यताओं का विस्तार संभव नहीं है, वे इसकी प्राण वायु हैं । मोक्षदायिनी मां गंगा केवल नदी ही नहीं है बल्कि सदियों से भारत में धर्म, दर्शन, संस्कृति, सभ्यता का प्रवाह है । गंगा के निर्मल प्रवाह ने भारत भूमि पर हर आयाम को जोड़कर रखा है। यह नदी न केवन हमें जल देती है बल्कि पोषण एवं रोजगार का अवसर भी देती है। गंगा सेवक राजेश शुक्ला ने आवाह्न किया कि हम सभी गंगा के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें । गंगा किनारे की स्वच्छता में सहायक बनें ।