( *कृष्णा पंडित*)
*खुशियों की त्यौहार जहां धूमधाम से पूरे देश में दिवाली मनाई जाती है वही आजादी के बाद एक गांव में ब्राह्मण समाज आज भी दिवाली नहीं मनाते*
इस गांव का नाम है मेलकोट ,जो बंगलुरु से 100 किमी की दूरी पर स्थित है. कहा जाता है कि हर दिवाली को यहां आयंगार ब्राह्मण समुदाय के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं!
इसके पीछे मेलकोट के रहने वाले श्रीनिवास बताते हैं कि दिवाली के दिन टीपू सुल्तान ने 800 ब्राह्मणों को फांसी पर चढ़ाया था और वह ब्राह्मण हमारे पूर्वज थे, फांसी पर चढ़ाए जाने की वजह पूछने पर श्रीनिवास कहते हैं कि टीपू सुल्तान ने इसलिए ब्राह्मणों को मारा क्योंकि उन्होंने धर्म परिवर्तन करने से मना कर दिया था !
हमारे इतिहासकार टीपू सुल्तान को महान शासक बताते हुए थकते नहीं हैं, जबकि वो एक क्रूर जिहादी शासक था ,जिसके पिता हैदरअली ने धोखे से हिन्दू शासक कृष्ण को मारकर मैसूर की सत्ता हासिल की थी !!