विचारों में पवित्रता से ही भारत पुनः बनेगा विश्व गुरु- महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति

(शमीम अंसारी)
गाजीपुर। व्यक्ति अपने पद व कद से नहीं बल्कि विचारों की पवित्रता से महान बनता है। आज यदि नैतिकता का पतन हुआ है तो उसका सबसे बड़ा कारण विचारों में पवित्रता का अभाव है। ऐसे में यदि हम सभी के विचार में पवित्रता का वास हो तो भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है। उपरोक्त बातें सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर विजयादशमी के अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा।
सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर विजयादशमी के अवसर पर 750 वर्ष प्राचीन परंपरागत ध्वज पूजन, शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन, शिवपूजन, शक्ति पूजन व शमी वृक्ष पूजन के उपरांत सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में उपस्थित शिष्य श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री यति जी महाराज ने कहा कि जीवन मे हमेशा उत्तम विचारों को जगह देनी चाहिए ताकि हम स्वस्थ और समृद्ध रह सकें। विचारों का सीधा प्रभाव हमारे व्यक्तित्व, जीवन के निर्माण एवं ऊर्जा पर पड़ता है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रबल होने से हम किसी भी कार्य को पूरी लगन एवं तन्मयता के साथ कर पाते हैं। इसके विपरीत नकारात्मक ऊर्जा हमारे विवेक को क्षीण कर देती है। उन्होंने कहाकि रावण बहुत बड़ा विद्वान था लेकिन विचारों में पवित्रता ना होने की वजह से हजारों वर्ष बाद भी हर साल रावण को जलाया जाता है। जबकि विचारों की पवित्रता की वजह से शबरी माता व जटायु भी पूजे जाते हैं। आज अखिल विश्व में जो भी अशांति फैली हुई है जगह जगह पर अपराध, व्यभिचार व भ्रष्टाचार का साम्राज्य फैलता जा रहा है उसके पीछे हमारे विचारों में पवित्रता का ना होना ही मुख्य कारण है। ऐसे में हम अपने विचारों में पवित्रता से ही जीवन में मंगल की प्राप्ति कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि श्यामसुन्दर शाही क्षेत्रीय संगठन मंत्री अभाविप ने कहाकि विजयादशमी के दिन हम अपने अंदर बैठे रावण रूपी विचारों का दहन करें जिससे स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके। उन्होंने सिद्धपीठ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सैकड़ों वर्ष की प्राचीन परंपरा अनुसार आज श्रद्धालुओं को पीठाधीश्वर का जो पाथेय प्राप्त होता है उसका अनुसरण कर हम अपने जीवन को मंगलमय बनाते हैं।
इस अवसर पर शतचंडी महायज्ञ के मुख्य यजमान विधायक वीरेंद्र यादव, ब्रह्मचारी सन्त डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, भानुप्रताप सिंह, प्रोफेसर आनंद सिंह, प्रोफेसर सानन्द सिंह, जितेंद्र सिंह वैभव, डॉ संतोष यादव, अंकित जायसवाल, देवरहा बाबा, रमेश यादव, डॉ सन्तोष मिश्रा, आनन्द कुमार मिश्रा, भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश राजभर, अमिता दुबे सहित हजारों की संख्या में शिष्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।

सिद्धपीठ पर 750 वर्ष प्राचीन परंपरागत बुढ़िया माई भोग प्रसाद के लिए बरसात में देर रात तक जमे रहे श्रद्धालु
गाजीपुर जनपद स्थित 750 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर वर्ष भर में एक बार मिलने वाले अधिष्ठात्री देवी बुढ़िया माई (वृद्धम्बिका देवी) के भोग प्रसाद हलवा पूरी को पाने के लिए श्रद्धालु भारी बरसात के दौरान देर रात तक जमे रहे। जहां सिद्धपीठ के 26वें पीठाधीश्वर व जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज द्वारा अपने हाथों से सभी श्रद्धालुओं को भोग प्रसाद “हलवा पूड़ी” वितरण किया गया।
गौरतलब हो कि अध्यात्म जगत में एक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित हो चुके सिद्धपीठ हथियाराम मठ की अधिष्ठात्री देवी बुढ़िया माई का विजयादशमी के पर्व पर हलवा पूरी से भोग प्रसाद लगाया जाता है। जिसको पाने के लिए देश के कोने-कोने से सिद्धपीठ से जुड़े सिर्फ श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान सिद्धपीठ पर लगातार नौ दिनों तक शतचंडी महायज्ञ, लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के साथ ही अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। महानिशा महाअष्टमी की रात्रि के चारों प्रहर हवन यज्ञ के उपरांत विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन, ध्वज पूजन, शक्ति पूजन, शिवपूजन के बाद शमी वृक्ष पूजन महामंडलेश्वर जी द्वारा वैदिक विद्वानों के साथ किया गया। तत्पश्चात बुधवार की शाम से साल भर में एक बार बटने वाला हलवा प्रसाद का वितरण शुरू हुआ। उसी समय बरसात भी शुरू हुई लेकिन श्रद्धालु देर रात तक कतारबद्ध होकर हलवा पुरी का प्रसाद लेते नजर आए।
-वनवासियों द्वारा बनाए गए पत्तल में लपेटकर बांटा जाता है भोगप्रसाद
विशेष बात यह की 750 वर्ष प्राचीन परंपरा अनुसार आज भी बुढ़िया माई के भोग प्रसाद को वनवासी समुदाय द्वारा बनाए गए पत्तल में ही लपेटकर वितरित किया जाता है। जिसके लिए क्षेत्र के वनवासी समाज द्वारा महीनों पूर्व से बड़ी तादाद में पत्तल तैयार किए जाते हैं।