चुप रहने से अच्छा है मैं कोई गीत गुनगुनाऊं

*कविता*

*चुप रहने से अच्छा है*……

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*चुप रहने से अच्छा है मैं कोई गीत गुनगुनाऊं*

*आरजू है दिल की उसे अपने सुर से सजाऊं*

*चुप रहने से अच्छा है मैं कोई गीत गुनगुनाऊं*

*अपने ही मन की व्यथा को*
*अपने ही लफ्जों में बताऊं*

*मन की हर दुविधा को*
*मैं खुद ही मिटाऊं*

*चुप रहने से अच्छा है मैं कोई गीत गुनगुनाऊं*

*मन में उठ रहे सवालों का मैं खुद जवाब ढूंढ लाऊं*……

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*श्रेया मौर्या ग्राम पोस्ट ….. गजियापुर …. ( दुबारी ) मधुबन जनपद …. मऊ*