जिस देश में बालात्कारियों का फूल मालाओं से स्वागत

जिस देश में बालात्कारियों का फूल मालाओं से स्वागत
वहां नारी दिवस मनाने का कोई अर्थ नहीं
जिस देश में कोई न्याय नाम की चीज नहीं वहाँ से कानून नाम की चीज खत्म कर देनी चाहिए l
कहां है महिला अधिकार मिशन शक्ति सब दिखावा जी हाँ दिखावा जब बलात्कारियों को आज़ाद कर दिया जाता है वो भी देश के आज़ादी के दिन और उनका सम्मान किया जाता है फूल मालाओं से जो जूते चप्पल के मालाओं के हकदार थे l उन महिलाओं को भी शर्म आनी चाहिए जो एक महिला होकर बलात्कारियों को माला पहना रही आरती मालाओं से स्वागत कर रही चंद पैसे पर बिकने वाली महिलायें है ये शर्म इनको आनी चाहिए महिला होकर महिला का साथ देने की जगह बलात्कारियों का सम्मान कर रही उनकी बेटी बहन शायद नहीं थी जिनके साथ ऐसा हुआ l
और बंद कर देना चाहिए दिखावा महिला दिवस. महिला सम्मान जिस देश में महिलाओं को इन्साफ न दिया जा सके .जिस देश में कानून नाम की कोई चीज नहीं कानून अपराधियों के पछ में काम कर रहा हो बड़े शर्म की बात है हाथरस में भी दलित बेटी के साथ बलात्कार हुआ तो वहाँ भी बलात्कारियों का समर्थन किया गया कितने शर्म की बात है बिलकिस बनो के साथ बहोत अन्याय हुआ. जहां बलात्कारियों को सख्त से सख्त सजा देनी थी वहाँ रिहाई इस तरह से क़ानून द्वारा बलात्कारियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस बात से साफ़ लग रहा कानून पूरी तरह से बिक चुका है न्याय नाम की कोई चीज नहीं रहे गई गुंडों बलात्कारियों का साथ क्या यही है विकास. इस तरह से देश में बलात्कार होते रहेंगेl उनका बलात्कार करने पर फूल मालाओं आरती से स्वागत होता रहेगा और मनचले बढ़ते रहेंगे l शायद तब तक जब तक रिहा करने वाले जज .रिहा करवाने वाले वकिल और साथ देने वाले नेता की बेटियों के साथ जब तक नहीं होगा. और उन महिलाओं के बहन बेटियों के जिन्होंने बलात्कारियों का स्वागत किया शर्म से डूब मरना चाहिए क्या इतनी आत्मा मर गई की देश में बलात्कारियों को सूली पर चढाने की जगह उनका स्वागत किया जा रहा वो माला भी शर्मिंदा होगा उनके गले में जाकर की जहां फांसी का फंदा होना था वहाँ मैं हूँ l मैं तो सम्मानित उच्च व्यक्ती के गले की सौभा बनता था. आज ऐसे औसौभाग्य के दिन देखने से पहेले मैं खत्म क्यों न हो गया l
बंद करो दिखावा महिला दिवस उनके सम्मान का तब तक जब तक कानून की ज़मीर जाग न जाये l
शबा खान
समाजसेवी
Varanasi