महिला समानता दिवस


महिलाओं की समाज में भूमिका सिर्फ जन्मदायनी कि नहीं बल्कि उसी समाज को शिक्षण पोषण एवं सुरक्षा देने की भी है। लेकिन आज भी सभी कार्यों को कुशलता के साथ करने पर भी महिलाओं को समानता कहों प्राप्त नहीं । असमानता अपने आप में समाज को पीछे ले जा रही है
एक महिला अपने घर का भी ख्याल रखती है बच्चों का ख्याल रखती है उनके शिक्षण का ख्याल रखती है बाहर जाकर नौकरी भी करती है और अपनी परंपराओं को मूल्यों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित भी करती है। फिर भी समान अधिकारों के लिए उसे हर प्रकार से पुरुष की ओर देखना पड़ता है समाज की तरफ देखना पड़ता है जो अपने आप में उसके अधिकारों को शुन्य कर देता है। जो महिलाएं पढ़ी लिखी है वह अपने अधिकारों को बखूबी जानती हैं परंतु जो पढ़ी-लिखी नहीं है उनके अधिकारों का हनन हर रोज हर क्षण किया जाता है। और ऐसा इसलिए होता है कि जब भी कोई महिला समानता के अधिकार की बात करती है तो उसका दमन ना केवल पुरुषों की मानसिकता द्वारा किया जाता है बल्कि खुद महिलाएं भी उसका विरोध करने पर आ जाती हैं। जिसका खामियाजा खुद उन्हें भी उठाना पड़ता है
मेरा मानना है यदि महिलाएं चाहती हैं कि उनकी बेटियों को समानता का अधिकार मिले और समाज में जो योगदान उनके द्वारा दिया जा रहा है उसकी समान आवश्यकता समझी जाये तो बेटियों को शिक्षित बनाओ
और जब भी कोई महिला समानता के अधिकारों के लिए लड़ती हैं उस वक्त उसका विरोध ना करें उसके साथ खड़े हो क्योंकि महिला केवल महिला नहीं अपितु खुशहाल राष्ट्र के भविष्य की रीड है जिस पर किसी भी राष्ट्र का भविष्य टिका है।

संपूर्ण मातृशक्ति को मेरा अभिनंदन

डाo राहुल वर्मा
संस्थापक /राष्ट्रीय अध्यक्ष
(महिला उन्नति संस्था)