मरीजों की शिकायते है कि सरकारी अस्पतालों में बेड नहीं है खाली। मरीजों की संख्या के आगे बौना पड़ा है सरकारी अस्पताल। किडनी के गंभीर मरीजों को इधर उधर टहलना पड़ रहा है, जिसके बाबत प्राइवेट अस्पताल मरीजों से अच्छा खासा पैसा वसूलते हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना हमारे पास बेहतर सुविधा है और खाली बेड भी उपलब्ध हो जायेगा, जब मरीज पहुंचता है अस्पताल, बातें खोखली हो जाती हैं। जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उन्हे दवाइयां बाहर से लेनी पड़ती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया प्रयागराज से आया एक बच्चा के परिवार सरकारी अस्पताल के ऊपर भड़कने को मजबूर हो गए। असल में छोटे बच्चे को है किडनी की गंभीर बिमारी, राजधानी लखनऊ आया इलाज के लिए, पर ट्रॉमा में नहीं मिला सही तरीके से इलाज, जिसके बाद बच्चे को ट्रामा से लोहिया अस्पताल लाया गया, जहां उसे खाली बेड नहीं मिला। ऐसा लगता है उत्तर प्रदेश सरकार कागज़ों और बातों में मजबूत है, पर असलियत में दावे हैं खोखले। यदि आप के पास जुगाढ़ या पैसा हो तो सब मुमकिन हो जायेगा, प्रशासन आपकी मदद ऐसे करदे मुश्किल है। स्वास्थ विभाग है मरीजों के इलाज़ के आगे फेल।