समाज को परिष्कृत करने में साहित्य की भूमिका प्रभावी-नपा अध्यक्ष मनोज कुमार जायसवाल

*परिस्थितियां विषम हों और खुली अभिव्यक्ति कठिन हो तो कुछ लिखना चाहिए : डॉ नीरज त्रिपाठी*

*’आवाज मेरे दिल की,गीतों की गली में’ गीत संग्रह का विमोचन*

*रचनाकार रमेश मालवीय का गीत संग्रह प्राचीन और सामयिक विषयों का संग्रह भी है*

*संग्रह के समीक्षक विभूति नारायण मिश्र ने व्यापक चिंतन का सागर कहा*

मिर्जापुर। कविता तो व्यक्ति को मानव बनाती हैं जबकि गीत व्यक्ति को पूर्ण पुरूष की श्रेणी में खड़ा करता है। गहराई से देखा जाए तो सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति गीतमय है। नदियों की लहरों, बादलों की चमक, दमक और गड़गड़ाहट, हवाओं का विविध रूपों में प्रवाहित होना, चांद-सितारों के चित्ताकर्षक रूपों में मधुर गीत सुने जा सकते है।
इन्हीं उद्गारों के बीच नगर के कटरा बाजीराव मुहल्ले में स्थित कृष्णा-इन पैलेस में रविवार, 17 जुलाई को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त मैनेजर श्री रमेश मालवीय के गीतों का संकलन ‘आवाज मेरे दिल की, गीतों की गली में’ का विमोचन नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार जायसवाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने साहित्य की परंपरा को सशक्त बनाने के लिए साहित्य-सृजन को प्रभावी बताया । उन्होंने कहा कि साहित्य समाज को परिष्कृत करता है।
समारोह की अध्यक्षता आर्थोपेडिक सर्जन तथा कवि डॉ नीरज त्रिपाठी ने की। उन्होंने कहा कि वक्त जहरीला हो और बोलने की हालत न हो तो कुछ लिखना ही चाहिए। डॉ त्रिपाठी ने कोरोना काल की विविध भयावहता के बीच लिखी कविताएं सुनाई।
लोकार्पित गीत-संग्रह पुस्तक के कवि श्री रमेश मालवीय ने अपने जीवन के विविध संस्मरणों को सुनाते हुए काव्यपाठ भी किया।
मुख्य वक्ता के रूप में सलिल पांडेय ने संस्कृत साहित्य में गीतों की समृद्ध परंपरा में कालिदास, जयगोविंद से लेकर भक्तिकाल के कवियों के योगदान पर प्रकाश डाला। श्रीमती नन्दिनी मिश्र, सर्वश्री प्रवीण सेठी एवं शरद मेहरोत्रा ने गीत-संग्रह की विशेषताओं को प्रस्फुटित किया। कुल 64 पेज के संग्रह में 47 गीत और कविताएं हैं। जिसमें अध्यात्म से लेकर समाज तक के विविध आयामों का स्पर्श हुआ है। अभिव्यक्ति की दृष्टि से रचनाएं अत्यंत सुगम और सुबोधपूर्ण हैं
इसी क्रम में विमोचित संग्रह के भूमिका-लेखक श्री विभूति नारायण मिश्र ने स्वागत और श्रीमती कमला सिंह पाल ने संचलान किया। प्रारंभ में छोटी बालिका वैष्णवी ने ‘सत्यं शिवं सुंदरं..’ का गान किया । श्री मालवीय की धर्म पत्नी श्रीमती सुधा मालवीय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। जबकि पुत्र अनुराग मालवीय एवम् मनु मालवीय, पुत्री रजनी, दामाद मानस ने अतिथियों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के आयोजन में भारत विकास परिषद् भागीरथी के अध्यक्ष श्री धीरज सोनी, पूर्व अध्यक्ष श्री ललित मोहन खंडेलवाल, सीए श्री पंकज खत्री, श्री गोपी मोहन अग्रवाल, श्री पशुपतिनाथ टंडन, श्री शंकर सोनी, श्री भूपेंद्र सिंह, श्रीमती कमला पाल, श्रीमती डॉली सर्राफ, राजुल अग्रवाल आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

*सलिल पांडेय, मिर्जापुर।*