तहसील क्षेत्र कर्नलगंज के गांव से लेकर कस्बे तक अप्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार

झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद,मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़, कहीं विभागीय पनाह तो नहीं

क्षेत्र के कस्बा कर्नलगंज, ग्राम उमरिया, पहाड़ापुर, चौरी चौराहा, कटरा बाजार, भंभुआ, चकरौत, परसपुर आदि अनेकों स्थानों पर सड़क के किनारे जगह जगह खुलेआम अप्रशिक्षित झोलाछाप डाक्टरों की संचालित हो रही है दुकानें

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज में लगभग पांच वर्षों से जमे हैं अधीक्षक डाक्टर सुरेश चंद्र ।

कर्नलगंज, गोण्डा। तहसील क्षेत्र के गांव से लेकर कस्बे तक अप्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। जिनके द्वारा सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों का न सिर्फ सस्ते में इलाज का दावा किया जा रहा है। बल्कि फोड़ा-फुंसी सहित बड़े ऑपेशन भी किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं यह झोला छाप डॉक्टर खुलेआम मरीजों को सड़क किनारे लिटाकर उन्हें डिप भी चढ़ा रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से मौन है। क्षेत्र में अप्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टर गंभीर रोग का इलाज कर मरीजों की जिंदगी से खेल रहे हैं। उनके इस कृत्य से जहां लोगों के पैसे की बर्बादी हो रही है। वहीं लोगों की जान भी जोखिम में पड़ रही है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। क्षेत्र के कस्बे से लेकर गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। यहाँ चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 15 से 25 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में सरकारी अस्पताल कर्नलगंज अथवा जिला अस्पताल गोंडा भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है। इन झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद हैं जो मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

मालूम हो कि तहसील कर्नलगंज के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं। इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है।कर्नलगंज तहसील क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 250 से 300 रुपए तक होती है।

स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई

इन झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में फंसकर अब तक अनेकों लोग अपनी काफी जमा पूंजी गवां चुके हैं और इनके शिकार हो चुके हैं लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की। बताते चलें कि कस्बे से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में और सड़को के किनारे खुलेआम चल रहे इस गोरखधंधे पर प्रशासन की कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिली रही है। जिससे बेखौफ झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा हैं। बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है। शासन ने उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवन बनवाकर उन पर रंगरोगन करा दिया लेकिन स्टॉफ की माकूल व्यवस्था नहीं की। जिससे उप स्वास्थ्य केंद्र अक्सर बंद रहते हैं जिससेे मजबूरन लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है।

कर्नलगंज कस्बे में गोंडा लखनऊ मुख्य मार्ग के किनारे मौर्य नगर चौराहे के पास संचालित बंगाली दंत क्लीनिक में मरीज को इंजेक्शन लगाते हुए और जांच करते अप्रशिक्षित लोग

ऐसा ही कुछ नजारा कर्नलगंज कस्बे में गोंडा लखनऊ मुख्य मार्ग के किनारे मौर्य नगर चौराहे के पास देखने को मिला। जहां
कर्नलगंज कस्बा स्थित गोंडा लखनऊ हाईवे के किनारे मौर्य नगर चौराहे के पास खुले आम बिना डिग्री के अवैध रूप से डाक्टर बंगाली दंत क्लीनिक संचालित हो रही है। जहाँ झोलाछाप डाक्टर कई वर्षों से क्लीनिक का संचालन करते हुए धड़ल्ले से मनमानी वसूली कर आम जनमानस के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। यही नहीं इस क्लीनिक में कई बिना डिग्री धारी और आठवीं दसवीं पास लोग बेखौफ होकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं और इंजेक्शन लगाकर दवाऐं दे रहे हैं। जबकि कर्नलगंज से लखनऊ मुख्य मार्ग के किनारे भारी भरकम बोर्ड लगाकर किये जा रहे गोरख धंधे पर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की नजर नहीं पड़ रही है। बताते चलें कि उपरोक्त बंगाली क्लीनिक के अलावा कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के कस्बा कर्नलगंज, ग्राम उमरिया, पहाड़ापुर, चौरी चौराहा, कटरा बाजार, भंभुआ, चकरौत, परसपुर आदि अनेकों स्थानों पर सड़क के किनारे जगह जगह अप्रशिक्षित झोलाछाप डाक्टरों की भरमार है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय जिम्मेदारों अधिकारियों द्वारा प्रतिमाह निश्चित चढ़ावा मिलने से जानबूझ कर अनदेखी की जा रही है और अवैध संरक्षण दिया जा रहा है। ऐसे में गंभीर सवाल यह उठता है कि आखिर इन झोला छाप डॉक्टरों पर अंकुश कब लगेगा और सीधे साधे लोगों के जीवन से खिलवाड़ कब तक होता रहेगा? स्वास्थ्य विभाग के रहमोकरम से क्षेत्र में बिना पंजीकरण के जगह जगह काफी संख्या में फर्जी क्लिनिक और नर्सिंग होम भी चल रहे हैं। जबकि विगत वर्षों कर्नलगंज कस्बे में एक नर्सिंग होम फर्जी तरीके से संचालित होना भी पाया गया था। इसके बावजूद झोलाछाप डॉक्टरों व फर्जी नर्सिंग होम संचालकों पर कार्रवाई नहीं हो रही है और जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों से लेकर जिले स्तर तक आला अधिकारी सब कुछ जानते हुए अंजान बने रहकर इस गोरखधंधे को बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं।

छापे मारी से पहले ही मिल जाती है जानकारी

सूत्रों का दावा है कि किसी झोला छाप डॉक्टर के खिलाफ जब भी किसी के द्वारा शिकायत करने पर छापेमारी की जाती है। तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाक्टर अपनी दुकान बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं।