बकरीद पर मुल्क में अमन-ओ-अमान के लिए मांगी गई दुआएं

गाजीपुर।(शमीम अंसारी)जखनिया बकरीद का त्यौहार यानी कि कुर्बानी का त्यौहार आज पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है वहीं पर जनपद गाजीपुर के जखनियां तहसील अंतर्गत अलीपुर मदरा,भुडकुडा,रामपुर बलभद्र, शादियाबाद, बहरियाबाद, दुल्लहपुर आदि कस्बों में लोगों ने सुबह सात बजे ईद उल अजहा की नमाज अदा किया, नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे को गले लगाया तथा मुल्क में अमन और शांति के लिए दुआएं मांगी गई वही बच्चों मे बहुत ही हर्षोल्लास था इस अवसर पर विभिन्न प्रतिनिधियों ने समय से ईदगाह पहुंचकर लोगों का इस्तकबाल किया शादियाबाद बहरियाबाद दुल्लहपुर जखनिया भुड़कुड़ा आदि के स्थानीय प्रतिनिधियों ने लोगों को गले लगाया तथा आपसी भाईचारे की अपील की बताते चलें कि यह कुर्बानी का त्यौहार अल्लाह के एक दूत हजरत इब्राहिम की परीक्षा देने से शुरू होती है।एक वक्त इब्राहिम को ख्वाब में अल्लाह ने दिखाया कि आप की सबसे प्यारी चीज हमारे नाम में कुर्बान करना है इब्राहिम को अल्लाह ने बहुत ही दुआ मांगने के बाद मन्नतें मांगने के बाद अल्लाह ने एक लड़का दिया था जिसका नाम इस्माइल रखा गया। हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की राह में बहुत ही अपनी अजीज चीजों की कुर्बानियां दी लेकिन उनकी कुर्बानी कबूल नहीं हुई यह देख कर इब्राहिम ने सोचा कि क्यों ना अपने लख्ते जिगर इस्माइल को ही अल्लाह की राह में कुर्बान किया जाए हो सकता है अल्लाह हमसे राजी हो जाए। अब क्या करते इब्राहिम ने इस्माइल की कुर्बानी देने की सोच ली लेकिन अल्लाह को परीक्षा लेना था इम्तहान लेना था जिस समय अपने बेटे इस्माइल को पहाड़ी पर लेकर जाते हैं कुर्बानी करने के लिए उसी समय अल्लाह की तरफ से इस्माइल की जगह एक जानवर आ जाता है और उसकी कुर्बानी हो जाती है। जब उन्होंने अपनी आंखें खोली तो देखा कि मेरा बेटा इस्माइल बगल में खड़ा है बेटे की जगह एक जानवर हमारे हाथों से जीबह हो गया है और इसी दौरान गैब से आवाज आई अर्थात आकाशवाणी हुई इब्राहिम तुम अपनी परीक्षा में पास हो गए मैं तो तुम्हें देखना चाहता था कि तुम अल्लाह से कितनी मोहब्बत करते हो।
बस तभी से इस कुर्बानी की परंपरा चली आ रही है कुर्बानी एक इबादत है जो हर एक मुसलमान पर वाजिब है जो साहिबे निसाब हो अर्थात उसके पास 52 तोला चांदी का वह मालिक हो या उसके कीमत के बराबर उसके पास चल और अचल संपत्ति हो उसको कुर्बानी करना जायज है।