आसमान को छू रहे दामों ने बिगाड़ा खाने का जायका इतने प्रतिशत बढ़ा रसोई का बजट अच्छे दिन की शुरुआत हो रही है

आसमान को छू रहे दामों ने बिगाड़ा खाने का ”जायका”, इतने प्रतिशत बढ़ा रसोई का ”बजट”
अच्छे दिन की शुरुआत हो रही है

,,,,,,, महंगाई रोजाना बढ़ती जा रही है लेकिन आय के साधनों में महंगाई दर की बनिस्वत वृद्धि नहीं हो रही जोकि गहन चिंतन का विषय है। महंगाई आने वाले समय में और क्या-क्या रंग दिखाएगी यह सोचकर ही आम आदमी की परेशानी बढ़ जाती है। पैट्रोल-डीजल से लेकर रूटीन में इस्तेमाल होने वाली मूलभूत जरूरत की चीजों के दाम कंट्रोल से बाहर होते जा रहे है, इससे रसोई घर का बजट भी बिगड़ चुका है।
लॉकडाऊन के बाद से दालों के दामों में बेहद वृद्धि, जिससे आम आदमी की थाली से दालें गायब होने लगी हैं। वहीं मसालों ने खाने का जायका बिगाड़ कर रख दिया है। बाजार में जब भी दालों के दाम बढ़ते हैं तो लोग सब्जियों को महत्व देना शुरू कर देते हैं लेकिन सब्जियों के दामों में भी इस समय बेहद उछाल है, जिससे लोगों की परेशानी में बढ़ौतरी हो रही है।
एक अनुमान के मुताबिक कोरोना के बाद से अब तक रसोई का बजट 40 प्रतिशत तक बढ़ चुका है, इसमें सब्जियां, तेल, मसाले, गैस, आटा, दालें, डेयरी उत्पाद आदि मुख्य तौर पर शामिल हैं। सबसे पहले रसोई गैस की कीमतों ने रिकार्ड तोड़ा है। इससे देश के कई राज्यों के बेहद स्लम अबादी वाले इलाकों में रहने वाले गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों ने रसोई गैस का इस्तेमाल बंद कर दिया। उक्त लोग फिर से पुराने साधनों के जरिए आग जलाने के लिए लकड़ी आदि ईंधन को प्रयोग में लाने लगे।
अब आलम यह है कि रसोई घर में नियमित इस्तेमाल होने वाली दालें, तेल व मसालों के बढ़ रहे दामों ने खाने का जायका बिगाड़ कर रख दिया है। सौंफ, काली मिर्च, लाल मिर्च, नमक, जीरा, सूखा धनिया सहित कई मसालों के दामों में 50 प्रतिशत तक की बढ़ौतरी दर्ज हुई है। रसोई में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के दाम बढऩे से मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। इंकम के हिसाब से देश की आबादी को 3 भागों में बांटा जा सकता है, इसमें सबसे अधिक संख्या मध्यम वर्ग की है। इस वर्ग ने अपनी आमदनी के हिसाब से अपने खर्च निर्धारित किए होते हैं, जब भी नियमित रूप में इस्तेमाल होने वाली मूलभूत वस्तुओं के दाम बढ़ते है तो मध्यम वर्ग का बजट बिगड़ जाता है।
कोरोना कॉल के पिछले 2 वर्षों के दौरान मध्यम वर्ग द्वारा जोड़ी गई जमा पूंजी का बड़ा हिस्सा खर्च हो चुका है। कोरोना के बाद जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आनी भले ही शुरू हो चुकी है, लेकिन इंकम के सीमित साधनों के कारण बचत कर पाना बेहद मुश्किल है। ऐसे हालात में रसोई गैस का बजट बिगड़ना सबसे अधिक प्रभावित करता है। यहां मुख्य रूप से दालों, मसालों, कुकिंग ऑयल की बात की जा रही है क्योंकि ये ऐसे पदार्थ हैं जिनके बिना रसोई घर अधूरा है। तड़के के लिए देसी घी के अतिरिक्त स्वाद के लिए सिरका, मक्खन, तेल, नमक, हल्दी, लाल मिर्च आदि जैसी जरूरी चीजों का इस्तेमाल करना पड़ता है। वहीं, सरसों के तेल के दाम पिछले समय के दौरान 200 रुपए प्रति लीटर का आंकड़ा छू चुके हैं जिससे सरकार भी चिंतित है। बाजार के मुताबिक दालों व मसालों के दाम कम होने का फिलहाल कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। वहीं सब्जियों के दामों में आने वाले समय में गिरावट होने की संभावना देखी जा रही है। कुकिंग ऑयल के दामों में 75 से 85फीसदी की बढ़ौतरी होना साबित करता है कि रसोई घर का बजट किस कदर प्रभावित हो चुका है।
‘नहाने वाले साबुन के दामों में दर्ज हुई अभूतपूर्व बढ़ौतरी’
महंगाई की मार ने नहाने वाले साबुन को भी नहीं छोड़ा, इसके दामों में अभूतपूर्व बढ़ौतरी दर्ज हुई है। कोरोना के वक्त 60-65 रुपए में बिकने वाला साबुन अब 130 रुपए तक पहुंच गया है जबकि 4 टिक्कयों की पैकिंग में आने वाला साबुन 90 से बढ़कर 140 रुपए तक पहुंच गया है। दुकानदारों का कहना है कि कई साबुन ऐसे हैं जिनका रेट नहीं बढ़ाया गया, लेकिन उनका वजन कम कर दिया गया। इसी तरह से कपड़े धोने वाले साबुन के दाम भी बढ़े हैं लेकिन इनकी बढ़ौतरी दर कम है। वहीं, बाजार में बिकने वाले फेस वॉश व इस तरह के अन्य प्रोड्क्टस के दामों में गर्मी के मौसम के दौरान वृद्धि देखने को मिल रही है।